संदीप तिवारी, रायपुर। केंद्र सरकार के प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना के घटक मॉडल सोलर विलेज को छत्तीसगढ़ में भी मंजूरी मिल गई है। गुजरात के मोढेरा गांव की तर्ज पर अब छत्तीसगढ़ में भी 33 सोलर विलेज विकसित किए जाएंगे।
केंद्र सरकार ने प्रदेश के सभी 33 जिलों में एक-एक गांव को सोलर विलेज के रूप में विकसित करने के लिए 33 करोड़ रुपये स्वीकृत किया है। इतनी ही राशि राज्य सरकार ने भी स्वीकृत की है।
ग्रामीण इलाकों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में इसे बड़ा कदम माना जा रहा है। छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (क्रेडा) के माध्यम से ही इस योजना का संचालन किया जा रहा है।
प्रदेश में ऊर्जा विभाग के भारसाधक मंत्री स्वयं मुख्यमंत्री विष्णु देव साय हैं। वह लगातार बिजली विहीन सुदूर अंचलों तक बिजली व्यवस्था पहुंचाने के लिए ध्यान दे रहे हैं। ऐसे में सोलर विलेज बनाने का मकसद गांवों को विद्युत की आवश्यक पूर्ति के लिए स्वच्छ और ग्रीन ऊर्जा के रूप में विकसित करना है।
सभी घरों, सामुदायिक स्थलों, पंचायत, स्कूल-आंगनबाड़ी केंद्रों के भवनों सोलर रूफटाफ संयंत्र स्थापित किए जाएंगे। सौर चलित स्ट्रीट लाइट, सौर चलित सिंचाई पंप सहित अन्य माध्यम से गांव जगमग होंगे। इससे न केवल ग्रामीण घरों को 24 घंटे बिजली मिलेगी, बल्कि बिजली कटौती की समस्या भी दूर होगी।
गुजरात का मोढेरा गांव देश का पहला सौर ऊर्जा से संचालित गांव बनकर एक मिसाल पेश कर चुका है। यह ऐतिहासिक पहल अक्टूबर 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुरू की थी। प्रसिद्ध सूर्य मंदिर के लिए पहचाना जाने वाला मोढेरा अब सौर ऊर्जा से आत्मनिर्भर बन चुका है।
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इस परियोजना के तहत हर घर की छत पर सोलर पैनल लगाए गए हैं। इससे गांव के लोगों को 24 घंटे मुफ्त बिजली मिल रही है। इसके अलावा, सरकार ने बैटरी स्टोरेज सिस्टम भी स्थापित किया है, ताकि रात में भी बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित हो सके।
ग्रामीणों को बिजली बिल से मुक्ति मिलने के साथ-साथ अतिरिक्त बिजली बेचने का भी अवसर मिल रहा है। इससे उनकी आय में वृद्धि हो रही है।
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विशेषज्ञों का कहना है कि सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने से पारंपरिक बिजली उत्पादन पर निर्भरता कम होगी और कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी। यह कदम न केवल आर्थिक रूप से फायदेमंद होगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।