संदीप तिवारी,नईदुनिया, रायपुर: बिहार विधानसभा चुनाव की गहमागहमी में छत्तीसगढ़ के राजनीतिक दिग्गजों ने भी अपनी पूरी ताकत झोंक दी है, जिससे यह चुनावी मुकाबला और भी रोचक हो गया है। सत्ता में वापसी के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए कांग्रेस ने पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ से अनुभवी नेताओं की फौज उतार दी है।
  एनडीए ने इस बार चुनावी प्रबंधन में कोई कसर नहीं छोड़ी है, और छत्तीसगढ़ से भाजपा नेताओं की बड़ी टीम को मैदान में उतारा गया है। यह दिखाता है कि पार्टी संगठनात्मक ताकत और क्षेत्रीय नेतृत्व के हस्तांतरण की रणनीति पर काम कर रही है। चुनावी विश्लेषण और राजनीतिक समीकरण राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि ये चुनाव केवल बिहार के स्थानीय नेताओं तक सीमित नहीं रहा है, बल्कि यह राष्ट्रीय दलों की क्षेत्रीय नेतृत्व पर निर्भरता को भी उजागर करता है।
    यहां छत्तीसगढ़ के नेताओं को उतारना स्पष्ट करता है कि भाजपा, ''मोदी की गारंटी'' और हिंदुत्व के मुद्दों के साथ-साथ, सफल रहे क्षेत्रीय नेताओं के अनुभवों को भी इस्तेमाल करना चाहती है, जैसा कि योगी आदित्यनाथ और अन्य मुख्यमंत्रियों का मोर्चा संभालना दर्शाता है। वहीं भूपेश बघेल की अगुआई वाली कांग्रेस टीम मुख्य रूप से एनडीए सरकार की खामियों को उजागर करने और महागठबंधन के पक्ष में समर्थन जुटाने पर केंद्रित होगी।
    साय सहित चार भाजपा शासित राज्यों के सीएम को प्रचार में लगाया
      मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय सहित चार भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को विशेष रूप से प्रचार में लगाया गया है। साय का बिहार में चुनावी सभा करना भाजपा के राष्ट्रीय स्तर पर समन्वय और सामूहिक नेतृत्व के प्रदर्शन को दर्शाता है। यही नहीं, उपमुख्यमंत्री अरुण साव और विजय शर्मा भी बिहार में मोर्चा संभाले हुए हैं, जो यह बताता है कि राज्य के प्रमुख नेताओं को ''क्लस्टर वार'' के तहत महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है ताकि स्थानीय समीकरणों को साधा जा सके।  
         इन नेताओं को भी सौंपी गई है जिम्मेदारी
      छत्तीसगढ़ भाजपा के प्रदेश प्रभारी रहे नितिन नबीन, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंह देव, मंत्री गजेंद्र यादव, मंत्री खुशवंत साहेब, सांसद संतोष पांडेय, बृजमोहन अग्रवाल, सरोज पांडेय और केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू जैसे नेताओं की उपस्थिति, भाजपा के मजबूत सांगठनिक ढांचे और हर स्तर पर चुनाव को गंभीरता से लेने की रणनीति को स्पष्ट करती है। इसके अलावा विधायक मोतीताल साहू, रोहित साहू, भावना बोहरा, अनुराग अग्रवाल, प्रखर मिश्रा, गोपाल बिस्ट, किशोर देवांगन, अमित साहू, संजू नारायण ठाकुर सहित कई नेताओं को चुनावी जिम्मेदारी सौंपी है।  
           कांग्रेस का दांव: भूपेश बघेल के अनुभव पर भरोसा
       कांग्रेस ने भी अपने सबसे बड़े और अनुभवी चेहरे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर भरोसा जताया है। भूपेश बघेल को बिहार चुनाव का सीनियर आब्जर्वर बनाया गया है, जो कांग्रेस द्वारा उनके संगठनात्मक कौशल और मैदानी राजनीति की समझ पर दिए गए महत्व को दर्शाता है।  
       छत्तीसगढ़ में उनकी सफलता को भुनाने और जातीय समीकरणों (विशेषकर ओबीसी वर्ग) को साधने की कोशिश हो सकती है। उनके साथ जयसिंह अग्रवाल, शैलेष पांडेय, देवेंद्र यादव जैसे कांग्रेस के वर्तमान और पूर्व विधायकों की टीम भी प्रचार में जुटी है, जो यह दिखाता है कि कांग्रेस भी छत्तीसगढ़ के स्थानीय और अनुभवी नेताओं के माध्यम से अपने पक्ष में माहौल बनाने की जुगत में है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि छत्तीसगढ़ के कई नेता बिहार में जमे हुए हैं।