सतीश पांडेय, रायपुर। राजधानी में बड़ी संख्या में अत्यधिक तीव्रता वाले एलईडी हेडलाइट लगे वाहन दौड़ रहे हैं, जो कई बार हादसों का कारण भी बन रहे हैं। शहर में हर दूसरा व्यक्ति अपने वाहन को हाई बीम पर चलाता है। ऐसे में एलईडी हेडलाइट की तीव्र रोशनी से वाहन चालकों के सामने कुछ देर के लिए अंधेरा छा जाता है। इससे हादसे का खतरा बढ़ जाता है।
रात के समय में चालकों को किसी दुर्घटना से बचने के लिए विशेष सावधानियां बरतनी होती हैं। इसके बाद भी शहर में कई चालक नियमों के विपरित तेज रफ्तार में वाहन चलाते हैं। बावजूद इसके परिवहन विभाग और यातायात पुलिस इन पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। वहीं, ज्यादा देर तक तेज रोशनी के संपर्क में रहना आंखों को स्थायी रोग दे सकता है।
वाहन को आकर्षक बनाने और अधिक दूरी तक रोशनी फैलाने के लिए वाहन मालिक बाजार से अलग-अलग किस्म की एलईडी और डीआरएल लाइटें लगवा लेते हैं। इनकी तेज रोशनी के कारण सामने से आ रहे वाहन चालकों की आंखें थोड़ी देर के लिए चौंधिया जाती हैं, जिससे दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।
शहर में रात के समय हो रहे हादसों के प्रमुख कारणों में यह भी है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार, हर साल होने वाले सड़क हादसों में औसतन 43% हादसे शाम छह बजे से रात 12 बजे के बीच होते हैं। इनका मुख्य कारण हाई बीम और रोड लाइट की कमी को माना गया है। शहर में कई स्थानों पर रोड लाइट की समस्या तो है ही, साथ ही हाई बीम पर चलने वाले वाहन इस समस्या को और बढ़ा देते हैं।
नियमों के अनुसार, वाहन की हेडलाइट में 60 वाट से ज्यादा का बल्ब नहीं लगाया जा सकता, चाहें वो एलईडी हो या साधारण। कार निर्माता कंपनिया भी इस सीमा से अधिक बल्ब वाहनों पर नहीं लगाते। जिन वाहनों पर कंपनी की तरफ से डीआरएल लगी आती हैं, सिर्फ वही वैध हैं।
यदि कोई अपने वाहन में बाजार से डीआरएल लाइट लगाते हैं, तो वो अवैध है। ऐसे में 10 हजार रुपये तक का चालान बनाया जा सकता है। वहीं यातायात नियमों के मुताबिक, शहरी क्षेत्रों में हेडलाइट को हाई बीम पर सेट कर वाहन चालाने की अनुमति नहीं है।
सेवानिवृत एडिशनल एसपी ट्रैफिक बलराम हिरवानी का कहना है कि दोपहिया, चारपहिया वाहनों पर लगी अत्यधिक तीव्रता की एलईडी लाइटें आंखों के लिए हानिकारक हैं। इनसे निकलने वाली तेज रोशनी से आंखों के सामने 30 सेकंड तक के लिए अंधेरा छा जाता है।
इतने समय में वाहन चलाते वक्त कोई भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है। वहीं, इनकी रोशनी से आंखों में अस्थाई सूक्ष्म अंधापन और मोतियाबिंद होने का भी खतरा रहता है, क्योंकि इनसे निकलने वाली रोशनी अधिकतर चमकीले सफेद रंग की होती हैं जो रेटिना पर बुरा प्रभाव डालती हैं।
रात के समय में कई बार सामने से आने वाले वाहनों की हाई बीम हेडलाइट के कारण सामने कुछ नहीं दिख पाता है। ऐसे में हादसे का डर बना रहता है। वहीं कुछ इलाकों में तो ये समस्या और भी ज्यादा है। - राहुल ठाकुर, सेजबहार
शहर में कई वाहन चालक रात के समय हाई बीम पर वाहन चलाते हैं, जिससे आंखों में चुभन और दर्द होने लगता है। कई बार तो हाई बीम के कारण हादसे हो जाते हैं। इन पर कारवाई के साथ बिक्री पर रोक लगनी चाहिए।- रवि साहू, रायपुर