नई दुनिया, रायपुर: छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले मामले में बड़ी कार्रवाई हुई है। घोटाले के आरोपी 28 अधिकारियों को मंगलवार को EOW की विशेष अदालत में पेश किया गया। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक सभी अधिकारी अग्रिम जमानत के कागजात लेकर कोर्ट पहुंचे थे। कोर्ट में 1-1 लाख रुपए का जमानत पट्टा जमा करने पर उन्हें जमानत मिल गई।
सभी आरोपी अधिकारी अपने-अपने जमानतदारों के साथ अदालत पहुंचे थे। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें गिरफ्तारी से राहत देते हुए अग्रिम जमानत दी थी। गौरतलब है कि यह मामला प्रदेश के सबसे बड़े आर्थिक घोटालों में से एक माना जा रहा है, जिसकी जांच EOW कर रही है।
ED के मुताबिक छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के शासनकाल के दौरान साल 2019 से 2022 तक लाइसेंसी शराब दुकानों पर डुप्लिकेट होलोग्राम लगाकर बड़ी मात्रा में अवैध शराब बेची जाती थी, जिसके चलते छत्तीसगढ़ के राजस्व विभाग को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ था। उस दौरान शराब को स्कैनिंग से बचाने के लिए नकली होलोग्राम भी लगाया जाता था, ताकि वह किसी की पकड़ में न आ सके।
इस होलोग्राम को बनाने के लिए घोटाले में संलिप्त लोगों ने उत्तर प्रदेश के नोएडा में होलोग्राफी का काम करने वाली प्रिज्म होलोग्राफी सिक्योरिटी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को टेंडर दिया था। ईडी ने अपनी जांच के बाद यह बताया है कि यह कंपनी होलोग्राम बनाने के लिए पात्र नहीं थी, फिर भी नियमों में संशोधन करके यह टेंडर उसी कंपनी को दे दिया गया था।
टेंडर दिलाने के एवज में कंपनी के मालिक विधु गुप्ता से भारी कमीशन लिया गया था। यह जानकारी सामने आने के बाद जब कंपनी के मालिक विधु गुप्ता को ईडी ने गिरफ्तार किया तो उसने कांग्रेस सरकार में सीएसएमसीएल में एमडी अरुणपति त्रिपाठी, होटल कारोबारी अनवर ढेबर और अनिल टुटेजा का नाम लिया।