नईदुनिया प्रतिनिधि, रायपुर: पिछले दिनों प्रदेश के अधिकांश जिलों में हुई बारिश के बाद अब आने वाले कुछ दिन थोड़ी कम बारिश होने की संभावना है। प्रदेश में अगले तीन दिनों तक मानसून की गतिविधियों में थोड़ी कमी आने की संभावना है। हालांकि उसके बाद एक बार फिर से बारिश में तेजी आने की संभावना मौसम विभाग ने जताई है।
बता दें कि बीते 24 घंटों के दौरान उत्तर छत्तीसगढ़ के कुछ जिलों में अच्छी बारिश दर्ज की गई, जिसमें सूरजपुर में सर्वाधिक 11 सेमी वर्षा हुई। वहीं, प्रदेश के अन्य हिस्सों में हल्की से मध्यम वर्षा दर्ज की गई। हालांकि अन्य इलाकों में औसत बारिश के साथ लगभग पूरे प्रदेश का मौसम सुहावना बना रहा।
उत्तर छत्तीसगढ़ में जहां भारी बारिश के कारण नदियां और नाले उफान पर हैं। वहीं राज्य के मैदानी इलाकों में कम बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। इन क्षेत्रों के किसान जो मुख्य रूप से रबी फसल में धान की खेती करते हैं। अब खरीफ फसल की बुवाई के लिए तेज बारिश का इंतजार कर रहे हैं। धान की बुवाई से पहले खेतों को तैयार करने के लिए ‘मताई’ (खेतों को समतल और बुवाई योग्य बनाना) करना पड़ता है, जिसके लिए पर्याप्त पानी की आवश्यकता होती है। बारिश की कमी के कारण यह महत्वपूर्ण कार्य प्रभावित हो रहा है।
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बता दें कि सबसे अधिक प्रभावित जिलों में रायपुर, धमतरी, बालोद, दुर्ग, कवर्धा, बेमेतरा और महासमुंद शामिल हैं। इन जिलों के किसान मानसून की अच्छी बारिश का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, ताकि वे समय पर अपनी खरीफ फसल की बुवाई कर सकें।
प्रदेश में डीएपी खाद की कमी, किसान प्रभावित डीएपी खाद की कमी बनी हुई है। कई जिलों में किसानों को डीएपी खाद के लिए सहकारी समितियों और दुकानों में भटकना पड़ रहा है। जबकि कुछ जिलों में मांग के मुकाबले बहुत कम सप्लाई हो रही है। डीएपी खाद की कमी के कारण छत्तीसगढ़ के किसानों को खरीफ फसलों की बुवाई में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
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खाद की कमी के कारण निजी दुकानदार फायदा उठाकर कालाबाजारी भी हो रही है। इससे किसानों को अधिक कीमत पर खाद खरीदनी पड़ रही है। इधर, कुछ जिलों में अन्य खादें जैसे यूरिया, पोटाश और फास्फेट पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। डीएपी खाद की अभी इजराइल-ईरान, रूस-यूक्रेन के युद्ध के कारण विदेश से सप्लाई नहीं हो रहा है। इस कारण डीएपी खाद की कमी बनी हुई।