छत्तीसगढ़ में मरीजों की जान के साथ खिलवाड़...CGMSC ने 1.5 करोड़ रुपये महंगी खरीदी फंगस लगी Paracetamol
छत्तीसगढ़ में दवाओं की खरीदी में एक और गड़बड़ी सामने आयी है। सीजीएमएससी ने डेढ़ करोड़ रुपये ज्यादा देकर फफूंद लगी पेरासिटामॉल की गोलियां खरीदी हैं। शिकायत के बाद अब गोलियों को वापस मंगाया जा रहा है। राज्य में 48 हजार टैबलेट के वितरण पर रोक लगा दी गई है
Publish Date: Fri, 15 Aug 2025 11:08:26 AM (IST)
Updated Date: Fri, 15 Aug 2025 11:13:09 AM (IST)
डेढ़ करोड़ ज्यादा देकर खरीदी खराब दवाएं (सांकेतिक फोटो)HighLights
- सरकारी अस्पतालों में पहुंचा फंगस लगा पैरासिटामॉल
- प्रेदश में 48 हजार टैबलेटों के वितरण पर लगाया गया रोक
- सीजीएमएससी ने 1,5 करोड़ रुपये ज्यादा देकर खरीदी दवाएं
जितेंद्र सिंह दहिया, नईदुनिया रायपुर: गुणवत्ता खराब होने की शिकायत के बाद अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में बांटी जा रही पैरासिटामोल 500 मिलीग्राम गोली (बैच क्रमांक आरटी 24011) के 48 हजार टैबलेट के वितरण पर रोक लगा दी गई है। मामले में नईदुनिया की पड़ताल में अहम तथ्य उजागर हुए हैं।
छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन (सीजीएमएससी) ने 9एम फार्मा कंपनी से पैरासिटामोल दवाई 47.04 रुपये प्रति 100 टैबलेट की दर से खरीदी है। जबकि राजस्थान दवा निगम इसी दवा की खरीदी 29.33 रुपये में की है। यानी सीजीएमएससी ने प्रति स्ट्रिप 18 रुपये महंगी दवा खरीदी। इस हिसाब से पूरी खरीदी में सीजीएमएससी को डेढ़ करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ है।
बता दें कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में 85 लाख टैबलेट का क्रय आदेश जारी हुआ, जिसकी कीमत लगभग चार करोड़ रुपये रही। राजस्थान की तुलना में यह खरीद 1.50 करोड़ रुपये महंगी पड़ी। हैरानी की बात यह है कि यह दवा गुणवत्ता जांच में फेल पाई गई, लेकिन नियमों को दरकिनार कर दोबारा परीक्षण के लिए भेज दी गई है जबकि निविदा शर्तों में गुणवत्ता खराब होने पर कंपनी पर कार्रवाई का प्रविधान है।
अभी भी 19,93,497 टैबलेट अस्पतालों में
एक अप्रैल 2024 से आज तक 19,93,497 टैबलेट अस्पतालों में भेजी जा चुकी हैं। वित्तीय वर्ष 2025-26 में संचालनालय चिकित्सा शिक्षा ने 1.30 करोड़ टैबलेट और स्वास्थ्य सेवाओं ने 43.67 लाख टैबलेट की मांग रखी, जिसकी कुल कीमत 6.32 करोड़ रुपये है, लेकिन एक अप्रैल 2024 से अब तक केवल 19.93 लाख टैबलेट जारी हो सकी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि महंगी और घटिया दवा खरीद न केवल सरकारी धन की बर्बादी है, बल्कि मरीजों की जान से खिलवाड़ भी है।
ऐसे खुला मामला
मामला तब सामने आया जब प्रदेश के 90 से ज्यादा सरकारी अस्पतालों में स्ट्रिप खोलते ही गोलियों पर स्पष्ट धब्बे दिखे। इसकी सूचना तत्काल जिलों के सीएमएचओ को दी गई। जांच के बाद पूरे बैच को वेयरहाउस वापस भेज दिया गया। यह पहला मामला नहीं है। छोटे-बड़े अस्पताल पहले ही पैरासिटामोल के खराब बैच की शिकायतें भेज चुके हैं। कई बार दवाओं में फंगस, रंग बदलना और टूटने जैसी शिकायतें मिली हैं। करोड़ों रुपये की दवाएं वेयरहाउस और अस्पतालों से वापस की जा चुकी हैं।
मांग कुछ और सप्लाई कुछ
सीजीएमएससी ने आनलाइन माध्यम से दूसरी दवाओं की मांग की थी, लेकिन सप्लाई में 9एम इंडिया लिमिटेड (महासमुंद) कंपनी की पैरासिटामोल टेबलेट भेज दी गईं। स्वास्थ्य विभाग के अफसरों का कहना है कि यह सप्लाई नियमों के विपरीत है, क्योंकि आदेश के अनुरूप दवाएं नहीं भेजी गईं।
मरीजों की जान पर खतरा
फंगस लगी पैरासिटामोल खाने से मरीजों को उल्टी, दस्त, फूड पाइजनिंग और गंभीर मामलों में जान का खतरा हो सकता है। सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने वाले ज्यादातर मरीज गरीब वर्ग के होते हैं, जिनके लिए यह सीधे उनकी जान पर वार जैसा है।
यह है खराब दवा की जानकारी
- लौटाया गया बैच- बैच नंबर : आरटी 24011
- निर्माण तिथि : जनवरी 2024
- एक्सपायरी : दिसंबर 2025
- मात्रा : 48,000 टैबलेट (500 एमजी)
- निर्माता : 9एम इंडिया लिमिटेड, महासमुंद
पिछले दो महीनों में कई दवाओं की गुणवत्ता पर सवाल
- डीएनएस तरल पोषण - मरीजों को कंपकंपी
- आरएल स्लाइन - चढ़ाने के बाद ठिठुरन
- सर्जिकल दस्ताने - खराब गुणवत्ता
- इंजेक्शन पाउडर - असर नहीं
- ग्लूकोज स्लाइन - असर नहीं
- अस्थमा-गठिया की गोलियां - खराब गुणवत्ता
- सर्जिकल ब्लेड - जंग लगे
- कैल्शियम टैबलेट - स्ट्रिप से निकालते ही चूरा
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कंपनी पर लगे पुराने आरोप
9एम इंडिया लिमिटेड द्वारा पहले भी घटिया दवा सप्लाई के मामले आ चुके हैं। इसके बावजूद पिछले 3-4 साल से पैरासिटामोल सप्लाई का काम इसी कंपनी को मिला हुआ है। बता दें कि कंपनी की डाइसाइक्लोमाइन 10 एमजी भी इसी तरह खराब निकली थी।
इसके बाद भी मामले में सिर्फ स्टाक वापस मंगाने की कार्रवाई की गई। वर्जन शिकायत वाले बैच को होल्ड कर टेस्टिंग के लिए भेजा गया है। रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई होगी।
-रितेश अग्रवाल, एमडी, सीजीएमएससी