जितेंद्र सिंह दहिया, रायपुर: छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कार्पोरेशन (सीजीएमएससी) घोटाले के कारण दवाओं और उपकरणों के लिए नए टेंडर नहीं हो सका। दवा कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए दवा निगम के पूर्व अधिकारियों ने यह खेल खेला।अब नए एमडी ने टेंडर पूर्ण करने 10 से ज्यादा दवा निरीक्षकों की की नियुक्ति करके निविदा प्रक्रिया तेज कर दी है। सीजीएमएससी द्वारा दवा एवं उपकरणों की खरीद के लिए जारी की गई कुल 16 निविदाएं दो वर्ष से लंबित थी, उन्हें पूरा करने की प्रक्रिया तेज हो गई है।
बता दें कि 1135 दिनों के बाद आधा दर्जन निविदा की ‘कवर ए’ खोली गई है। इनमें से कई टेंडर 2023-24 और 2024-25 की अवधि के हैं। 100 से अधिक दवा और उपकरण की खरीदी में विलंब सबसे पुराने टेंडर को 494 दिन हो चुके हैं। इसके अलावा सबसे नए को 126 दिन हो चुके हैं। कुछ निविदाओं में 100 से अधिक दवा व उपकरण शामिल हैं।
सरकारी अस्पतालों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को गुणवत्तापूर्ण दवाइयों की आपूर्ति के लिए सीजीएमएसी की भूमिका अहम है, लेकिन निविदाएं दो वर्ष से अटकी पड़ी हैं। इससे दवाओं की आपूर्ति बाधित हो रही है और सरकारी व्यवस्था की पारदर्शिता एवं तत्परता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
बीते आठ माह में बिना नए टेंडर के तकरीबन 100 करोड़ की खरीदी हो चुकी है। चुनंदा दवाएं जिनका रेट कांट्रेक्ट डेढ साल पहले खत्म हो चुका है। सिर्फ एक लोकल 9 एम कंपनी से बिना नए टेंडर के कई प्रकार की दवाएं खरीदी जा रही हैं। जबकि उसी कंपनी की गुणवत्ताहीन दवाएं सप्लाई करने की दर्जनों शिकायतें है। जिनके प्रोडक्ट क्वालिटी जांच में फेल हो चुके हैं। कंपनी न तो प्रोडक्ट दोनों को ब्लैक लिस्ट नहीं किया गया।
सीजीएमएससी में रीएजेंट घोटाले का खुलासा होने के बाद से कई सप्लायरों और निर्माण कंपनियों के भुगतान अटक गए हैं। कई दवा कंपनियां जिन्होंने दो साल पहले ही दवाओं की सप्लाई कर दी है उनका भुगतान नहीं हुआ है।
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जिन दवाओं और उपकरणों की निविदा लंबित है उन्हें जल्द ही पूर्ण करने के निर्देश दिए गए हैं। जो स्टाफ की मांगी की गई थी उसे भी पूरा कर दिया गया है। जिससे लंबित निविदाओं की प्रक्रिया तेज हो सकते।
-श्याम बिहारी जायसवाल, मंत्री, स्वास्थ्य