
अभिषेक राय, रायपुर। प्रदेश में गर्मी की शुरुआत में ही बांधों के कंठ सूखने लगे हैं। वर्ष 2023 और 2024 की तुलना में बड़े बांधों में 20 से 38 प्रतिशत तक जलभराव कम है। छोटे बांध तो सूखने के कगार पर पहुंच गए हैं। इससे आने वाले दिनों में निस्तारी और पेयजल का संकट खड़ा होने से इंकार नहीं किया जा सकता है।
हालांकि, राज्य सरकार की ओर से पेयजल संकट से निपटने के लिए कार्ययोजना बनाकर तैयारी शुरू कर दी गई है। प्रदेश में 12 बड़े और 34 मध्यम स्तर के बांध हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि दिसंबर और जनवरी में अच्छी बारिश नहीं होने के कारण बांधों में जलभराव की यह स्थिति उत्पन्न हुई है।
नदियों और जलाशयों से बांधों में पानी छोड़ा जाता है। पर्याप्त बारिश नहीं होने से इनके जल स्तर भी कम है। कुछ बांधों के जीर्णशीर्ण होना भी प्रमुख वजहों में से एक है। प्रदेश के बड़े बांधों में शामिल गंगरेल (रविशंकर सागर) में 58.59 प्रतिशत ही जलभराव है, जबकि 2024 में 77.93 प्रतिशत था।
मिनी माता बांगों बांध में पिछले साल की तुलना में 27.53 प्रतिशत जलभराव कम हुआ है। मुरुमसिल्ली में पिछले बार की तुलना में इस बार करीब 38 प्रतिशत जलभराव कम है। हालांकि, वर्ष 2023 की तुलना में इस बार इसकी स्थिति बेहतर है। वर्ष 2023 में यहां केवल 10.30 प्रतिशत ही जलभराव था।

महासमुंद के कोडार जलाशय की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है। यहां 19.87 प्रतिशत पानी बचा है। बीते वर्ष इस अवधि में 31.99 प्रतिशत था। मुंगेली के मनियारी जलाशय में विगत वर्ष की तुलना में इस बार जल भराव अधिक है। बीते वर्ष 54.68 प्रतिशत जलभराव था, जो वर्तमान में 67.87 प्रतिशत है।
| बांध | 2025 | 2024 | 2023 |
| मिनीमाता बांगो | 45.58 | 60.60 | 73.11 |
| रविशंकर सागर | 58.59 | 77.93 | 84.21 |
| तांदुला | 49.07 | 41.32 | 78.22 |
| दुधावा | 49.81 | 81.16 | 18.68 |
| सिकासार | 47.32 | 68.33 | 68.53 |
| खारंग | 59.28 | 65.69 | 91.19 |
| सोंढुर | 63.16 | 74.87 | 39.65 |
| मुरुमसिल्ली | 33.75 | 72.56 | 10.30 |
| कोड़ार | 19.87 | 31.99 | 33.21 |
| मनियारी | 67.87 | 54.68 | 93.97 |
| केलो | 45.62 | 70.59 | 78.82 |
अरपा-भैसाझार
| 54.48 | 72.26 | 42.42 |
(इस वर्ष 17 मार्च तक की स्थिति)
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विधानसभा में भी पेयजल संकट का मुद्दा उठा था। ध्यानाकर्षण में भाजपा विधायक धमरजीत सिंह ने जल संकट का मुद्दा उठाते हुए चिंता जाहिर की थी। पक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने अपने सुझाव दिए थे। विधानसभा अध्यक्ष डा. रमन सिंह ने कहा था कि भीषण जल सकंट है, जिसके सावधानी की जरूरत है।
मुख्यमंत्री उच्च स्तरीय बैठक करें और कलेक्टरों को निर्देशित करें कि अपने-अपने क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों सांसद, विधायक, जनपद अध्यक्ष व अन्य के साथ बैठकर सप्ताहभर के अंदर कार्ययोजना बनाएं। मुख्यमंत्री साय ने इस पर सहमति दी थी। उन्होंने सोमवार को पेयजल संकट से निपटने को बैठक ली थी।