
राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, रायपुर(Chhattisgarh New Surrender Policy)। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय सरकार ने माओवादी हिंसा पर लगाम लगाने और वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में शांति बहाली के उद्देश्य से नई आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति 2025 लागू की है। इस नीति के तहत हिंसा का मार्ग छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटने वाले माओवादियों को न केवल सुरक्षा, बल्कि लाखों रुपये की प्रोत्साहन राशि, शिक्षा, कौशल प्रशिक्षण और स्वरोजगार के अवसर भी प्रदान किए जाएंगे।
इसमें माओवादियों को पांच लाख रुपये तक की प्रोत्साहन राशि देने के प्रविधान हैं। नई नीति में आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों को उनके हथियारों के प्रकार के अनुसार मुआवजा राशि देने का प्रविधान किया गया है। हर आत्मसमर्पणकर्ता माओवादी, चाहे उसके पास हथियार हो या नहीं, उसे 50,000 रुपये की नकद प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।

साथ ही अन्य छोटे हथियार जैसे कार्बाइन, रिवाल्वर, वायरलेस, डेटोनेटर आदि का निर्धारित दरों पर मुआवजा मिलेगा। इसके अतिरिक्त अगर कोई आत्मसमर्पित माओवादी नक्सली संगठन द्वारा छिपाए गए विस्फोटक या हथियारों के ठिकानों की जानकारी देकर बरामदगी में सहायता करता है तो उसे 15,000 से 25,000 रुपये तक की अतिरिक्त राशि मिलेगी। यदि जानकारी से बड़े हथियार डंप या विस्फोटक सामग्री बरामद होती है, तो 1 लाख रुपये तक का इनाम भी दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने शनिवार को कहा कि हथियार छोड़ने वालों को डर नहीं, बल्कि सम्मान मिलेगा। वर्षों से जंगलों में भटक रहे वे युवा जो भ्रम, भय या दबाव में माओवादी संगठनों से जुड़ गए थे, अब इस नीति के तहत एक सम्मानजनक जीवन की शुरुआत कर सकते हैं।

हिंसा किसी समस्या का समाधान नहीं है। हमारी सरकार उन सभी माओवादियों को सुरक्षित भविष्य और रोजगार की गारंटी देती है, जो हथियार छोड़कर विकास की मुख्यधारा से जुड़ना चाहते हैं।
विवाह अनुदान के रूप में भी सरकार ने ₹एक लाख की सहायता राशि देने की घोषणा की है। यदि पति-पत्नी दोनों आत्मसमर्पित माओवादी हैं, तो उन्हें एक इकाई मानते हुए यह लाभ दिया जाएगा। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि इनामी सूची में शामिल माओवादियों के आत्मसमर्पण पर, उन्हें पूरी इनामी राशि नियमों के तहत प्रदान की जाएगी।
साथ ही, उन्हें भारत सरकार की पुनर्वास योजनाओं का भी लाभ मिलेगा। नई नीति का उद्देश्य आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों को केवल आर्थिक सहायता देना नहीं है, बल्कि उन्हें शिक्षा, कौशल विकास, रोजगार के अवसर और सामाजिक सम्मान भी सुनिश्चित करना है, ताकि वे समाज में पुनः स्थापित हो सकें।