माओवादी हिड़मा का महिमामंडन करने वाला वीडियो पोस्ट कर सुरक्षा बलों और केंद्र सरकार पर उठाए सवाल
CG News: कुख्यात माओवादी माडवी हिड़मा के एनकाउंटर के बाद उसके महिमामंडन से जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किए जाने का मामला सामने आया है। इसमें ...और पढ़ें
Publish Date: Wed, 17 Dec 2025 12:28:43 PM (IST)Updated Date: Wed, 17 Dec 2025 12:29:38 PM (IST)
कुख्यात माओवादी हिड़मा का महिमामंडन करने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट।HighLights
- फोर्स और सरकार की कार्रवाई पर उठाए सवाल
- यू-ट्यूब चैनल पर 5 मिनट 20 सेकंड का है वीडियो
- मामले की जांच स्टेट इन्वेस्टिगेशन एजेंसी को सौंपी गई
रायपुर नईदुनिया, प्रतिनिधि। कुख्यात माओवादी माडवी हिड़मा के एनकाउंटर के बाद उसके महिमामंडन से जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किए जाने का मामला सामने आया है। इस भड़काऊ वीडियो को लेकर पुलिस ने कड़ी कार्रवाई करते हुए यू-ट्यूबर के खिलाफ यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम) के तहत प्रकरण दर्ज किया है।
यह एफआइआर रायपुर के सिविल लाइन थाने में दर्ज की गई है, जबकि मामले की जांच स्टेट इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (SIA) को सौंपी गई है।
5 मिनट 20 सेकंड का वीडियो अपलोड
पुलिस के मुताबिक, “कला टीवी” नामक यू-ट्यूब चैनल पर करीब 5 मिनट 20 सेकंड का एक वीडियो अपलोड किया गया था। वीडियो का शीर्षक “हिड़मा स्मृति” रखा गया है। इसमें माओवादी हिड़मा का महिमामंडन करते हुए उसे महान साबित करने का प्रयास किया गया है।
साथ ही, सुरक्षा बलों की कार्रवाई और केंद्र सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए गए हैं। वीडियो की भाषा और प्रस्तुति को भड़काऊ और देश विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देने वाला माना गया है।
मुख्यधारा में लौट रहे माओवादियों को उकसाने का प्रयास
सोशल मीडिया निगरानी के दौरान एसआइबी (SIB) की समिति ने इस वीडियो को चिन्हित किया। प्राथमिक जांच में यह पाया गया कि वीडियो के जरिए न सिर्फ माओवादी विचारधारा का प्रचार किया गया, बल्कि मुख्यधारा में लौट रहे माओवादियों को भी उकसाने का प्रयास किया गया है। इसके बाद समिति की ओर से शिकायत दर्ज कराई गई और संबंधित प्लेटफॉर्म से वीडियो को ब्लॉक कराया गया।
यू-ट्यूबर की भूमिका, उसके नेटवर्क की पड़ताल जारी
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आरोपी की पहचान के लिए आइपी एड्रेस और डिजिटल ट्रेल के आधार पर तकनीकी जांच की जा रही है। वीडियो अपलोड करने वाले यू-ट्यूबर की भूमिका, उसके नेटवर्क और संभावित सहयोगियों की भी पड़ताल की जा रही है। जांच एजेंसियां यह भी पता लगा रही हैं कि वीडियो किसी संगठित माओवादी प्रचार तंत्र का हिस्सा तो नहीं है।
ऐसे वीडियो को लेकर पुलिस ने स्पष्ट किया रूख
पुलिस का कहना है कि सोशल मीडिया पर माओवादी हिंसा का महिमामंडन करना, सुरक्षा बलों का मनोबल गिराना और देश विरोधी विचारधारा फैलाना गंभीर अपराध है। ऐसे मामलों में शून्य सहनशीलता की नीति अपनाई जा रही है।