
राज्य ब्यूरो, नईदुनिया : भोपाल। छत्तीसगढ़ में माओवादी माड़वी हिड़मा के एनकाउंटर पर सवाल उठाने वाला एक वीडियो साझा करके पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह घिर गए हैं। इस पर भाजपा ने उन्हें जहां देशद्रोहियों के साथ खड़े होने वाला बताया तो मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने कहा कि किसी परिवार के बच्चे की देश और प्रदेश की सेवा करते हुए अपने प्राणों की बाजी लगाकर माओवादियों के खिलाफ इतना बड़ा योगदान देना और दिग्विजय सिंह जैसे लोग उनके संबंध में दो शब्द संवेदना के नहीं बोलते हैं। इससे अधिक दुर्भाग्य की बात क्या होगी।
क्या है मामला
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने एक्स पर छत्तीसगढ़ की सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोढ़ी का एक वीडियो लिंक एक्स पर पोस्ट किया। इसमें उन्होंने माओवादी माड़वी हिड़मा के एनकाउंटर पर सवाल उठाए। इसके साथ ही कहा कि मैं नक्सली द्वारा की जा रही हिंसा का घोर विरोधी हूं। उनके साथ कोई समझौता होकर उन्हें आत्मसमर्पण कराया जाता है, मैं उसके पक्ष में हूं लेकिन विषय कुछ और है। उन्हें सामाजिक आर्थिक रूप से मुख्यधारा में लाया जाना चाहिए। देश के सभी अधिसूचित क्षेत्र विशेषकर बस्तर संभाग में भारत सरकार पेसा कानून लागू करना चाहिए। बस्तर के खनिज संपत्ति में स्थानीय आदिवासी की भागीदारी देना चाहिए। एसआइआर में जो प्रमाण पत्र मांगे जा रहे हैं, क्या देश के आदिवासी बहुल अधिसूचित क्षेत्र विशेषकर माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में आदिवासियों के पास होंगे, जिससे उनका नाम मतदाता सूची में शामिल हो सकें। प्रश्न ये हैं जिन पर सभी राजनीतिक दलों को ध्यान देना चाहिए।
सीएम ने किया पलटवार
इस पर पलटवार करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा है कि दिग्विजय सिंह को चाहिए था कि वह हमारे नरसिंहपुर के सपूत आशीष शर्मा के बलिदान पर उनके परिवार वालों के लिए दो शब्द संवेदना के बोलते। उन्हें राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत करने की बात करते लेकिन कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री दो शब्द संवेदना के भी नहीं बोलते हैं, इससे ज्यादा दुर्भाग्य की क्या बात होगी। इसी तरह की व्यवस्थाओं से कांग्रेस से जनता का मन टूटता है। कांग्रेस के लोगों को अपने अतीत के इन सारे कर्मों की कीमत जनता के साथ जाने के बाद चुकाना पड़ेगी।
उधर, भाजपा पदाधिकारियों ने कहा कि माओवादियों को समर्थन, आतंकियों को संरक्षण और पाकिस्तान परस्ती की बात करना दिग्विजय सिंह की आदत है। दो दिन पहले माओवादियों से मुठभेड़ में बलिदान हुए मध्य प्रदेश के लाल के लिए दिग्विजय सिंह ने एक शब्द नहीं कहा लेकिन माओवादी के एनकाउंटर पर घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं। उनका यह बयान न केवल आपत्तिजनक है बल्कि देशद्रोह की श्रेणी में आता है।