
राजकुमार धर द्विवेदी, रायपुर। City Talk Raipur: 'छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर का तेलीबांधा तालाब अपनी सुंदरता से प्रकृति-प्रेमियों को खुशी देता है, लेकिन यह उन लापरवाहों को पसंद नहीं करता, जो इस कोरोना काल में संयमित नहीं हैं, नियमों का पालन नहीं करते।' यह बात तालाब का मानवीकरण करने वाले चिंतक तेलीबांधा निवासी गजपती लाल तिवारी ने कही। 75 वर्षीय तिवारी कहते हैं, 'हर किसी की अपनी भाषा है। मन को तालाब से जोड़कर देखिए, यह आपसे किसी दोस्त की तरह बात करने लगेगा। मैंने महसूस किया है। जब मैं लापरवाहों को देखता हूं तो खामोश तालाब अचानक बोल पड़ता है, क्या करोगे तिवारी! ये लोग नहीं सुधरने वाले। मैं मास्क न लगाने वालों, सटकर बैठने वालों को पसंद नहीं करता। काश, मुझ तालाब की बात भी लोग सुन-समझ सकते।'
बुजुर्ग तिवारीजी की उक्त बातें भले ही कुछ लोगों को कपोल-कल्पित लगें, लेकिन उनमें दम है। उनमें कोरोना से बचने का बड़ा संदेश है।

तेलीबांधा तालाब के पास सुबह-शाम चहल-पहल रहती है। कोरोना फैलने के पहले यहां काफी लोग आते थे, लेकिन अब कम आते हैं। कुछ लोग कोरोना से पूरी तरह सावधान तो कुछ अत्यंत लापरवाह। अधिकतर लोग मास्क तो लगाए रहते हैं, लेकिन उनमें से कुछ लोग शारीरिक दूरी के नियम का पालन नहीं करते, एकदम सटकर बैठते हैं। सटकर बैठने वालों में अधिकतर युवा-वर्ग के लोग होते हैं, जिन्हें दैहिक आकर्षण के आगे कोरोना की भयावहता की परवाह नहीं होती। कुछ बुजुर्ग भी पास-पास बैठकर अपनी रामकहानी सुनाते हुए देखे जाते हैं। लेकिन जो लोग कोरोना से सतर्क हैं, उनका कहना है कि जरा-सी भी लापरवाही जीवन पर भारी पड़ सकती है। कोरोना अभी गया नहीं है। ठंड में वह थोड़ी भी लापरवाही पाकर हावी हो सकता है। इसलिए बेहतर होगा कि लोग खासकर शारीरिक दृष्टि से कमजोर लोग धूप निकलने के पहले घूमने न निकलें। प्रदूषण से बचने के लिए मास्क लगाए रहें। इसी तरह शाम को गरम कपड़े पहनकर घूमें। भीड़ से भी दूर रहें।
श्याम नगर के बल्लाराम यादव कहते हैं कि संयम हमेशा बरतना चाहिए। कोरोना असंयम का दुष्परिणाम है। अभी भी लोग चेत जाएं तो उनका भला होगा। जीवन ही स्वस्थ नहीं होगा तो मौज-मस्ती किस काम की?
इसी तरह की बात शंकर नगर की भावना सिंह ने भी कही। उनका कहना था कि कोरोना अभी गया नहीं है। अधिकतर लोगों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया है। शासन-प्रशासन द्वारा लगातार चेताया जा रहा है कि सावधान रहें। सावधानी ही बचाव है। ठंड के दिनों में अगर हम सावधान रहे तो कोरोना जरूर हारेगा।
एक बुजुर्ग शाम को तालाब के किनारे अकेले बैठे थे। आसपास कोई संगी-साथी न होने से वह मोबाइल में भिड़े थे। कहने लगे- पहले कई बुजुर्ग लोग यहां मरीन ड्राइव में घूमने आते थे। उनसे बातें होती थीं, समय अच्छे से गुजरता था, लेकिन अब कभी-कभी किसी से मुलाकात होती है। सभी लोग सलामत रहें, कोरोना से बचें।