सतीश पांडेय, नईदुनिया, रायपुर: शराब घोटाले में ईडी और ईओडब्ल्यू की जांच भी सवालों के घेरे में आने लगी है। हाई कोर्ट ने तीन महीने में जांच प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए हैं। दूसरी तरफ सच्चाई यह है कि जिन आठ डिस्टिलरियों की पाइप लाइन से पूरे शराब घोटाले में भ्रष्टाचार का विस्तार हुआ, उन सभी आरोपितों से एक बार भी पूछताछ तक नहीं हो सकी है।
महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में शराब सिंडिकेट के साथ मिलकर खेल करने वाले वर्तमान में भी शराब मुख्य आपूर्तिकर्ता हैं। ईडी के एफआइआर में वेलकम डिस्टलरी, भाटिया वाइन मर्चेंट, छत्तीसगढ़ डिस्टलरी, मे.नेक्स्ट जोन, दिशिता वेंचर्स, ओम सांई बेवरेज,सिद्वार्थ सिंघानिया और मेसर्स टॉप सिक्योरिटी को आरोपित बनाया गया है।
पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेले के पुत्र चैतन्य बघेल और अनिल टूटेजा और निरंजन दास जैसे दमदार आइएएस अधिकारियों की गिरफ्तारी का कारण बन चुके घोटाले में शराब के आपूर्तिकर्ता कार्रवाई में अभी तक अनछुए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 24 सितंबर, बुधवार को ही अधिकारियों को सशर्त अग्रिम जमानत देते हुए ईओडब्ल्यू को तीन महीने, अर्थात् दिसंबर 2025 तक और ईडी को दो महीने अर्थात् नवंबर 2025 तक पूरी करने के निर्देश दिए हैं। अक्टूबर महीने में मामले की अगली सुनवाई होनी है।
अनवर ढेबर, पूर्व मंत्री कवासी लखमा, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल, विजय भाटिया समेत अन्य फिलहाल रायपुर जेल में बंद हैं। सभी की जमानत याचिकाएं विभिन्न अदालतों में खारिज हो चुकी हैं। प्रमुख आरोपितों ने वकील के माध्यम से कोर्ट में जांच एजेंसी पर पक्षपातपूर्ण कार्रवाई का आरोप लगाए हैं। असली लाभ लेने वाले शराब आपूर्तिकर्ताओं के बाहर होने पर सवाल खड़े किए हैं।
जांच एजेंसी की ओर से कोर्ट में पेश चार्जशीट के मुताबिक कांग्रेस सरकार के दौरान डिस्टलरी कंपनियों ने 1920 करोड़ से ज्यादा की कमाई की। सिंडिकेट को 300 करोड़ से ज्यादा का कमीशन दिया। चौंकाने वाली बात यह है कि अब भाजपा सरकार में भी भाटिया वाइन, छत्तीसगढ़ डिस्टलरी और वेलकम डिस्टलरी शराब की आपूर्ति कर रही है।
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चार्जशीट के अनुसार शराब दुकानों से चार साल में (2019 से 2023 तक) 3.48 करोड़ से ज्यादा शराब पेटियां बेची गईं। इसके लिए डिस्टलरी संचालकों ने सिंडिकेट को 319 करोड़ का कमीशन दिया था। शराब बिक्री से संचालकों ने एक हजार 920 करोड़ 84 लाख छह हजार 201 रुपए कमाए। ये रकम सिंडिकेट को हुई कमाई से अलग है। चार साल में बेची गई शराब में नकली होलोग्राम की 40 लाख पेटियां भी शामिल हैं। इसके कमीशन से सिंडिकेट के सदस्यों ने ही एक हजार 660 करोड़ 41 लाख 56 रुपए की कमाई की थी।
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कोर्ट के आदेश पर ईडी ने डिस्टलरी संचालकों को आरोपित बनाया है लेकिन ईओडब्ल्यू इन्हें आरोपित नहीं बना रही है।कोर्ट में इस मामले में बहस भी चल रही है। सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को दो महीने और ईओ़डब्ल्यू को तीन महीने में कथित शराब घोटाले की जांच पूरी करने के निर्देश दिए है। मेरा मानना है कि कानून को किसी को परेशान करने का हथियार नहीं बनना चाहिए।
-फैजल रिजवी,वरिष्ठ अधिवक्ता
बिना डिस्टलरी संचालकों की मिलीभगत या संरक्षण में शराब घोटाला होना संभव नहीं है। कोर्ट ने भी माना है कि ये लोग आरोपित बनते है। जांच एजेंसियों को मामले में बिना पक्षपात के सभी आरोपितों के खिलाफ सामान कार्रवाई करनी चाहिए।
-नीलेश ठाकुर,वरिष्ठ अधिवक्ता।
जांच एजेंसी को निष्पक्ष होकर शराब घोटाले की जांच पूरी करने के साथ ही लाभ लेने और देने वाले पर सख्ती से कार्रवाई करनी चाहिए।
-दुर्गाशंकर सिंह,वरिष्ठ अधिवक्ता