परितोष दुबे,नईदुनिया, रायपुर : छत्तीसगढ़ के वन, इसे वैश्विक रूप से पहचान दिला रहे हैं। जापान के निवेशकों ने राज्य के वनों में बहुतायत में पाए जाने वाले साल बीज, करंज और रतनजोत के आयात और प्रसंस्करण में रुचि दिखाई है।
साल बीज से निकले तेल में कोको बटर जैसे गुण होते हैं। चाकलेट उद्योग में इसका उपयोग चमक बढ़ाने के लिए करते है। वहीं करंज व रतजनजोत बायोफ्यूल बनाने में उपयोगी होते हैं। इनका संग्रहण आदिवासी समुदाय पारंपरिक रूप से करता आ रहा है।
उद्योग जगत से जुड़े विशेषज्ञ मानते हैं कि जापानी निवेशकों की रुचि निवेश में बदलती है तो राज्य के वनोपज संग्रहकर्ताओं की आय बढ़ेगी। सीएम साय की जापान की यात्रा में वहां के निवेशकों के साथ बैठकों का आयोजन किया गया। इसमें जापान के निवेश को प्रोत्साहित करने वाली संस्था जेट्रो के प्रतिनिधियों ने वनोपज के साथ अन्य कई क्षेत्रों में भी रुचि दिखाई है।
वहीं राज्य सरकार ने जापान की फ्यूचर सिटी योजना में रुचि दिखाई है। इसके अंतर्गत जापान के सार्वजनिक परिवहन, पर्यावरण अनुकूल विकास और बायोफ्यूल आधारित ऊर्जा से जुड़ी सफलताओं को राज्य में भी लागू किया जा सकता है।
उद्योग और वाणिज्य संगठन सीआइआइ के प्रदेश चेयरमैन संजय जैन ने बताया कि वे भी सीएम के साथ जापान यात्रा पर गए थे। सीआइआइ ने राज्य में निवेशकों के अनुकूल वातावरण होने की जानकारी जापानी निवेशकों को दी है। वनोपज में उनकी रुचि जनजातीय क्षेत्रों में वनोपज संग्राहकों की आय बढ़ाने में सफल हो सकती है। खाद्य प्रसंस्करण, आइटी सेक्टर में निवेश के एमओयू भी हुए हैं। इनसे राज्य को दीर्घकालिक लाभ होना तय है।
प्रदेश की कंपनियों के साथ बीटूबी (बिजनेस टू बिजनेस) साझेदारी में दक्षिण कोरिया की एटीसीए (एडवांस्ड टेक्नोलाजी सेंटर एसोसिएशन) ने रुचि दिखाई है। एटीसीए एक औद्योगिक नेटवर्क है, जिसमें आइटी, इलेक्ट्रानिक्स, सेमीकंडक्टर, फार्मा और टेक्सटाइल क्षेत्र की 60 से अधिक प्रमुख कंपनियां शामिल हैं।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने दक्षिण कोरिया प्रवास के दौरान सियोल में एटीसीए के चेयरमैन लीजे जेंग और वरिष्ठ अधिकारियों के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात कर प्रदेश में निवेश के लिए आमंत्रित किया। वे सियोल में छत्तीसगढ़ इन्वेस्टर कनेक्ट कार्यक्रम में भी शामिल हुए, जिसका आयोजन (आइसीसीके) के सहयोग से किया गया था। उन्होंने कहा राज्य औद्योगिक नीति 2024–30 के तहत तकनीक, स्किलिंग व वैश्विक सहयोग को एक नई दिशा दी जाएगी।