वाकेश साहू, नईदुनिया, रायपुर: प्रदेश में सांपों की 43 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें विषैले और गैर-विषैले दोनों प्रकार के सांप शामिल हैं। कुछ प्रमुख सांपों में नाग, करैत, रसेल वाइपर, अजगर और चूहा सांप शामिल हैं।
बता दें कि विषैले सांपों में नाग, करैत और रसेल वाइपर प्रमुख हैं, जो बेहद घातक हो सकते हैं। गैर-विषैले सांपों में अजगर और चूहा सांप शामिल हैं। कुछ सांप रात में अधिक सक्रिय होते हैं। प्रदेश में हाल के वर्षों में सर्पदंश के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। अभी सबसे ज्यादा नाग का रेस्क्यू किया जा रहा है।
जानकारी के अनुसार, प्रदेश में 2018 से 2022 तक 17 हजार से अधिक लोगों को सांप ने डसा है। जशपुर, रायगढ़ और कोरबा जैसे इलाकों में सांपों का डेरा बना हुआ है। प्रदेश के जशपुर जिले को तो नागलोक तक की संज्ञा दी गई है। जहां के तपकरा ब्लॉक में बहुत सारे अलग-अलग प्रजाति के सांप पाए जाते हैं।
बता दें कि बरसात के दिनों में सर्पदंश की अधिकतर घटनाएं होती हैं। क्योंकि सांपों को बाहर के इलाके में खाना नहीं मिलता है, इसलिए खाने की तलाश में सांप घरों में घुस जाते हैं। प्रदेश के 44 प्रतिशत भूभाग पर जंगल है और यहां की ज्यादातर आबादी खेती करती है, ऐसे में आए दिन लोगों का सांपों से सामना होता रहता है।
बरसात में सांप काटने के मामले अधिक
रायपुर जिले में हर साल 200 से अधिक लोग स्नेक बाइट के शिकार हो रहे हैं। बरसात में इसकी संख्या बढ़ जाती है। जिले में सबसे ज्यादा मामले अभनपुर क्षेत्र के हैं। स्नेक बाइट का मामला ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा देखने को मिलता है। स्नेक बाइट के मामलों से निपटने की तैयारी को लेकर नईदुनिया टीम ने शहर के प्राथमिक, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, जिला अस्पताल, सिविल अस्पताल, आंबेड़कर अस्पताल की पड़ताल की। यहां पर्याप्त मात्रा में स्नेक एंटी विनम (सांप काटने पर लगने वाला टीका) है। जिले में 1,200 स्नेक एंटी विनम का डोज है।
नोवा नेचर वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष एम. सूरज के अनुसार, काटने वाले सभी सांप जहरीले नहीं होते। देश में पाई जानी वाली प्रजातियों में से करीब 80 प्रतिशत सांप विषैले नहीं होते। सिर्फ 20 प्रतिशत सांप ही जहरीले या बहुत जहरीले होते हैं, जिससे समय रहते इलाज नहीं मिलने पर मौत हो सकती है।
नोवा नेचर वेलफेयर सोसायटी के सचिव मोइज अहमद ने बताया कि संस्था शहर में सांपों के संरक्षण और संवर्धन के लिए काम कर रही है। संस्था ने जून में रायपुर के विभिन्न क्षेत्रों से 135 और जुलाई में अब तक 105 सांपों का रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर छोड़ा है।
रेस्क्यू किए गए सांपों में मुख्य रूप से धामन सांप (85), धोड़िया (38), कामन सैंड बोआ (29), पितपिती (15), अजगर (6), नाग (19), रसेल वाइपर (7), सामान्य करैत (4), ट्रिंकेट सांप (2), सामान्य ट्री स्नेक (1), मानिटर छिपकली (गोह) (7) और सामान्य कोड़ियाला (27) शामिल हैं।
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उन्होंने बताया कि रायपुर शहर में रोज 50 से अधिक कॉल सांप के रेस्क्यू के लिए आते हैं। रेस्क्यू के लिए 9993454757 पर संपर्क किया जा सकता है।
मोइज अहमद ने बताया कि विषैले सांपों में नाग सबसे ज्यादा रेस्क्यू में आ रहा है। सेजबहार, डूंडा, कमल विहार, खम्हारडीह, कचना, फुंडहर, माना बस्ती, सड्डू, विधानसभा, महादेव घाट और रायपुरा जैसे क्षेत्रों में नाग सांप ज्यादा मिल रहे हैं। विषहीन सांपों में धामन सबसे ज्यादा निकल रहे हैं, खासकर शंकर नगर के मंत्रियों के बंगलों और शहर के अन्य सभी क्षेत्रों से भी इनका रेस्क्यू हो रहा है।