नईदुनिया प्रतिनिधि, रायपुर: केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जारी ‘स्वच्छ वायु सर्वेक्षण-2025’ के नतीजों ने छत्तीसगढ़ के लिए निराशाजनक परिणाम दिए हैं। देश के 130 शहरों के बीच हुए इस सर्वेक्षण में राज्य का कोई भी शहर तीनों श्रेणियों में से किसी में भी शीर्ष तीन में जगह नहीं बना सका। यह परिणाम ऐसे समय में आया है जब वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए राजधानी में करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं।
सर्वेक्षण में 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों की श्रेणी में इंदौर ने 200 में से 200 अंक हासिल कर पहला स्थान हासिल किया है, जबकि जबलपुर 199 अंकों के साथ दूसरे और आगरा व सूरत 196 अंकों के साथ संयुक्त रूप से तीसरे स्थान पर हैं। इस श्रेणी में रायपुर ने पिछले वर्ष के 12वीं रैंक से एक पायदान की छलांग लगाकर 11 वीं रैंक हासिल की है। लेकिन शीर्ष दस से बाहर रहा। रायपुर को 184 अंक मिले हैं।
3 लाख से 10 लाख की आबादी वाले शहरों की श्रेणी में अमरावती, मुरादाबाद और झांसी ने क्रमशः पहला, दूसरा और तीसरा स्थान हासिल किया। इस श्रेणी में छत्तीसगढ़ के कोरबा ने 172.5 अंकों के साथ 18वीं रैंक प्राप्त की। वहीं, तीन लाख से कम आबादी वाले शहरों में देवास, परवाणू और अंगुल ने क्रमशः पहला, दूसरा और तीसरा स्थान प्राप्त किया।
वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए रायपुर नगर निगम द्वारा हर साल करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं। स्वीपिंग मशीनों और जल छिड़काव जैसे उपायों के बावजूद, राजधानी न तो स्वच्छता सर्वेक्षण में और न ही वायु सर्वेक्षण में कोई खास सफलता हासिल कर पाई है। इसकी तुलना में, पिछले साल सातवें स्थान पर रहने वाले इंदौर ने इस साल अपनी रैंक में उल्लेखनीय सुधार करते हुए पहला स्थान हासिल कर लिया है, जो रायपुर के लिए एक सबक है। करोड़ों रुपये के खर्च के बाद भी उम्मीद के मुताबिक परिणाम नहीं मिलना प्रशासन के प्रयासों पर सवाल खड़ा करता है।