राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, रायपुर: राज्य में बाघों की संख्या पिछले तीन वर्षों में दोगुनी हो गई है। वर्ष 2022 के सर्वेक्षण में जहां बाघों की संख्या 17 दर्ज की गई थी, वहीं अप्रैल 2025 में यह बढ़कर 35 तक पहुंच गई। यह उपलब्धि मंगलवार को आयोजित छत्तीसगढ़ राज्य वन्यजीव कल्याण बोर्ड की 15वीं बैठक में सामने आई। बैठक की अध्यक्षता मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने की।
मुख्यमंत्री ने इस मौके पर कहा कि बाघों की संख्या में वृद्धि इस बात का प्रमाण है कि राज्य में वन्यजीव संरक्षण की दिशा में सार्थक प्रयास हुए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार वन्य प्राणियों के संरक्षण और संवर्धन को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। हमारा राज्य वन और वन्य संपदा से समृद्ध है और इन्हें सुरक्षित रखना हमारी जिम्मेदारी है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि तीन वर्षों में बाघों की संख्या का 17 से 35 तक पहुंचना संतोषजनक है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि अन्य वन्य प्राणियों के संरक्षण की दिशा में भी ठोस कार्ययोजना बनाई जाए। मुख्यमंत्री ने जशपुर जिले के नीमगांव का उल्लेख करते हुए कहा कि यहां बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी आते हैं। प्रवासी पक्षियों के संरक्षण के लिए आवश्यक कार्यवाही होनी चाहिए। इसी तरह अन्य क्षेत्रों की पहचान कर पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सकता है। इससे न केवल जैव विविधता सुरक्षित होगी बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। उन्होंने कहा कि वन्य प्राणियों का संरक्षण और संवर्धन हमारी प्राथमिकता है।
बैठक में बोर्ड के उपाध्यक्ष एवं वन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि बाघों के साथ-साथ अन्य वन्य प्राणियों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। राज्य सरकार उनके रहवासों में सुधार और संरक्षण के प्रयास लगातार कर रही है। आने वाले समय में इसके और सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे। उन्होंने कहा कि आज पारित प्रस्ताव जनहित के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं और यह सुनिश्चित करेंगे कि वन्यजीवों एवं जैव विविधता को किसी प्रकार की क्षति न पहुंचे।
सदस्य सचिव और प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) अरुण कुमार पांडेय ने बताया कि राज्य में सर्वाधिक बाघ अचानकमार टाइगर रिजर्व में पाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि उदंती-सीतानदी और गुरु घासीदास तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व में बाघों के ट्रांसलोकेशन की प्रक्रिया भी जल्द पूरी होगी। इसके लिए राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकरण, नई दिल्ली से अनुमति प्राप्त हो चुकी है।
उन्होंने यह भी बताया कि राजकीय पशु वनभैंसा की संख्या बढ़ाने के लिए असम से लाए गए वनभैंसों का संरक्षण किया जा रहा है। इसी तरह राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना के लिए "मैना मित्र" नामक समूह सक्रिय है, जो उनके संरक्षण और रहवास पर निगरानी रख रहा है।
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि टाइगर रिजर्व और कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में पर्यटकों के लिए सुविधाएं विकसित की जाएंगी। इससे न केवल वन्यजीव संरक्षण को बल मिलेगा बल्कि समीपवर्ती गांवों के लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
बैठक में वन्यजीव संरक्षण और संवर्धन को ध्यान में रखते हुए कई प्रस्तावों को स्वीकृति दी गई। इसमें उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व, गरियाबंद अंतर्गत धवलपुर से कुकरार तक सड़क निर्माण कार्य, मिशन अमृत योजना के तहत पाइपलाइन विस्तार और कवर्धा वनमंडल में इंटरनेट सुविधा के लिए आप्टिकल फाइबर केबल बिछाने की अनुमति शामिल है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे वन क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीणों को मोबाइल और इंटरनेट कनेक्टिविटी मिलेगी। डिजिटल भुगतान की सुविधा उपलब्ध होगी और सामाजिक-आर्थिक विकास को नई दिशा मिलेगी।
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बैठक में विधायकों धर्मजीत सिंह और चैतराम अटामी सहित कई वरिष्ठ अधिकारी व विशेषज्ञ मौजूद रहे। मुख्य सचिव अमिताभ जैन, पुलिस महानिदेशक अरुण देव गौतम, अपर मुख्य सचिव (वन एवं जलवायु परिवर्तन) ऋचा शर्मा, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध कुमार सिंह और प्रधान मुख्य वन संरक्षक व्ही. श्रीनिवास राव भी उपस्थित थे। विशेषज्ञों ने वन्यजीव संरक्षण और संवर्धन के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए। बैठक में पारित प्रस्तावों के साथ यह स्पष्ट संदेश दिया गया कि छत्तीसगढ़ सरकार वन्यजीवों की सुरक्षा और संवर्धन को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध है।