
सतीश पांडेय, नईदुनिया, रायपुर: राज्य में कुत्तों और बेसहारा मवेशियों की बढ़ती समस्या को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग हरकत में आया है। प्रदेश में कुल 14 नगर निगम, 56 नगर पालिका परिषद और 122 नगर पंचायतें हैं, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से सिर्फ पांच नगर निगमों और पांच नगर परिषदों में ही कुल 10 डॉग शेल्टर सेंटर बनाए गए हैं।
ये स्थिति तब है जब प्रदेश में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक लगभग सवा लाख लोग हर साल कुत्तों के आतंक का शिकार हो रहे हैं। राज्य स्तर पर वर्ष 2024-25 में राज्य में 1,19,928 लोगों को कुत्तों ने काटा, जिनमें से 3 लोगों की मौत हो गई। विशेषज्ञों का कहना है कि सड़कों पर कुत्तों की बढ़ती संख्या के कारण डॉगबाइट के मामले तेजी से बढ़े हैं। हालांकि विभाग का दावा है कि अन्य जगहों पर भी डॉग शेल्टर सेंटर बनाने के प्रस्ताव हैं।
इन सेंटरों का उद्देश्य सड़कों पर घूमने वाले कुत्तों की नसबंदी, टीकाकरण और उपचार को सुव्यवस्थित करना है। नगरीय प्रशासन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद अब पूरे प्रदेश में स्ट्रीट डॉग और बेसहारा मवेशियों के प्रबंधन को लेकर ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। फिलहाल 10 डॉग शेल्टर सेंटर तैयार किए गए हैं, वहीं 200 से अधिक स्थानों को फीडिंग पाइंट के रूप में चिन्हांकित किया गया है। इसके अलावा नसबंदी, डी-वार्मिंग और टीकाकरण अभियान के साथ गोधन योजना को भी एकीकृत रूप से लागू किया जा रहा है।
राष्ट्रीय पशुधन गणना 2022 के अनुसार प्रदेश में लगभग 3,94,686 कुत्ते हैं। इनमें से अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं। वहीं 2019 की गणना में राज्य में 1.59 करोड़ पशुधन दर्ज किए गए थे, जिनमें गौवंश 62.90प्रतिशत, बकरी 25.2 प्रतिशत, भैंस 7.40प्रतिशत, भेड़ 1.13प्रतिशतऔर सूअर 3.33प्रतिशत शामिल हैं।
आवारा मवेशियों और कुत्तों की वजह से सड़कों पर हादसे लगातार बढ़ रहे हैं। एक अध्ययन के मुताबिक सड़क हादसों में सबसे ज्यादा मरने वालों की औसत आयु 29 वर्ष है और शाम चार से रात आठ बजे के बीच दुर्घटनाओं की संख्या सबसे अधिक रही। 92 प्रतिशत मामलों में दोपहिया वाहन चालक घायल हुए। आंकड़ों के अनुसार, 69 प्रतिशत हादसे कुत्तों और 21 प्रतिशत मवेशियों के कारण हुए हैं।
रायपुर नगर निगम के अपर आयुक्त विनोद पांडेय ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप निगम ने डॉग कंट्रोल और उनकी देखभाल के लिए कई कदम उठाए हैं। रायपुर में अक्टूबर 2024 से सितंबर 2025 तक 5050 कुत्तों की नसबंदी की गई है। सभी का डी-वार्मिंग और एंटी-रेबीज टीकाकरण भी किया गया है।
फिलहाल निगम के पास एक कैचर टीम और एक वाहन है, जो रोजाना शहर के विभिन्न इलाकों में जाकर कुत्तों को पकड़ने, उपचार कराने और टीकाकरण का काम करती है। निगम द्वारा बनाए जा रहे डॉग शेल्टर सेंटर में 77 कुत्तों के लिए सुविधा उपलब्ध होगी, जिसमें आपरेशन थिएटर, ट्रीटमेंट रूम और अन्य मेडिकल सुविधाएं होंगी। इसके संचालन के लिए एक एनजीओ से समझौते की प्रक्रिया जारी है। पशु चिकित्सा विभाग से चिकित्सकों की मांग भेजी गई है।
रायपुर शहर में 70 स्थानों को फीडिंग पाइंट के रूप में चिन्हांकित किया गया है, जहां डॉग लवर्स तय नियमों के तहत भोजन करा सकेंगे। प्रत्येक वार्ड में एक फीडिंग पाइंट तय किया गया है और वहां सूचना बोर्ड लगाए जाएंगे ताकि व्यवस्था नियंत्रित और पारदर्शी रहे।
राज्य में पिछले पांच वर्षों में मवेशियों से हुई दुर्घटनाओं में 404 लोगों की मौत और 129 गंभीर रूप से घायल हुए हैं। पुलिस के अनुसार, वर्ष 2023 में सड़क हादसों में होने वाली कुल मौतों का 5.6 प्रतिशत हिस्सा मवेशियों से जुड़ा था, जो 2024 में बढ़कर लगभग 9 प्रतिशत हो गया।
विधानसभा में प्रस्तुत जानकारी के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में अकेले रायपुर में 51,730 लोग डॉग बाइट के शिकार हुए हैं।
वर्ष 2022–23 : 13,042 मामले
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साफ है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद राज्य सरकार और नगरीय निकायों ने आवारा पशुओं के प्रबंधन के लिए पहल शुरू की है, मगर प्रदेशभर में डॉग शेल्टर सेंटरों की संख्या और सड़क सुरक्षा दोनों ही अब भी गंभीर चिंता के विषय हैं। जब तक स्थानीय स्तर पर निगरानी और संसाधनों का विस्तार नहीं किया जाएगा, तब तक “आवारा आतंक” की यह समस्या नियंत्रण में आना मुश्किल दिखती है।