जितेन्द्र सिंह दहिया, नईदुनिया रायपुर : छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर एक और बड़ा घोटाला उजागर हुआ है। प्रधानमंत्री जनमन मोबाइल मेडिकल यूनिट (एमएमयू) योजना के तहत खरीदी गई 108 करोड़ रुपए की 57 नई गाड़ियां टेंडर की तय तकनीकी शर्तों पर खरी नहीं उतरी हैं। संचालक एजेंसी ने स्वास्थ्य विभाग के निर्धारित पैरामीटर की खुली अनदेखी करते हुए गाड़ियों में 10 लाख रुपये प्रति वाहन तक का हेरफेर की है।
वर्ष 2020 में हेल्थ डिपार्टमेंट ने मोबाइल मेडिकल यूनिट के लिए जो तकनीकी मानक तय किए थे, उनका उल्लेख टेंडर डाक्यूमेंट के पृष्ठ क्रमांक 82 में दर्ज है।
गाड़ी बीएस-4 वर्जन 2.0 इंजन से लैस और कम से कम 80 बीएचपी पावर की होनी चाहिए।
व्हील बेस 3,600 से 4,200 एमएम के बीच होना चाहिए ताकि अंदरूनी स्पेस 17-22 फीट मिले।
पूरी गाड़ी में पावर बैकअप, वाशबेसिन, आक्सीजन सिलेंडर, लैब उपकरण, सार्वजनिक उद्घोषणा प्रणाली और अग्निशमन यंत्र अनिवार्य हैं। सबसे महत्वपूर्ण, पहली गाड़ी को सैंपल के रूप में स्वीकृति के बाद ही बाकी गाड़ियां बनाई जा सकती थीं, लेकिन इस प्रक्रिया को भी दरकिनार किया गया।
टेंडर दस्तावेज़ के अनुसार, मानक से बाहर की गाड़ियों को स्वीकार नहीं किया जा सकता। बावजूद इसके, संचालक एजेंसी ने मानक से कम गुणवत्ता वाली गाड़ियां उपलब्ध कराईं और अफसरों ने इन्हें पास कर दिया। जानकारों के मुताबिक, प्रत्येक गाड़ी में औसतन 10 लाख रुपये की लागत का हेरफेर हुआ है। इस तरह 57 गाड़ियों में करीब 5.7 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया है।
सूत्रों के अनुसार नवा रायपुर सेक्टर-19 की मल्टीलेवल पार्किंग में इन मोबाइल मेडिकल यूनिट्स में से 35 गाड़ियां खड़ी हैं, जो अब तक उपयोग में नहीं लाई जा सकी हैं। स्वास्थ्य विभाग के कई अधिकारी मानक उल्लंघन के बावजूद गाड़ियों को सैंपल पास बताकर आपूर्ति आदेश जारी कर चुके हैं।
इस घोटाले पर सीजीएमएससी (छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कार्पोरेशन लिमिटेड) और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अफसरों का कहना है कि गाड़ियों की जांच की जा रही है, लेकिन अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, संचालक एजेंसी को बचाने के लिए जांच को जानबूझकर धीमा रखा गया है।
प्रधानमंत्री जनमन योजना का उद्देश्य था की दूरस्थ इलाकों तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाना। लेकिन मानक से छोटी और कमजोर गाड़ियों के कारण यह यूनिट ग्रामीण इलाकों में ना ठीक से चल पाएंगी, ना सभी उपकरण फिट हो सकेंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि यह टेक्निकल पैरामीटर में धांधली कर जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ का मामला है।
बताया गया है कि ये गाड़ियां अभी सीजीएमएससी को हैंडओवर नहीं की गई हैं। नवा रायपुर सेक्टर-19 स्थित मल्टी-लेवल पार्किंग में बीते आठ दिन से 35 मोबाइल यूनिट अस्पतालों की गाड़ियां पार्क की गई हैं। इन गाड़ियों का डेमोस्ट्रेशन (प्रदर्शन) स्वास्थ्य विभाग और सीजीएमएससी के अधिकारियों ने लिया और उन्हें स्वीकृति प्रदान की। इसके बाद निविदा प्राप्त करने वाली कंपनी ने गाड़ियां वहां खड़ी कर दी हैं।
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सीजीएमएससी की जिम्मेदारी केवल निविदा (बिड) प्रक्रिया तक सीमित थी। आगे की कार्यवाही सफल बोलीदाता और स्वास्थ्य सेवाएं संचालनालय के बीच की जानी है। टेंडर की शर्तों के अनुसार ही आपूर्ति की जाएगी। विभाग को अब तक कोई खेप प्राप्त नहीं हुई है।
-रितेश अग्रवाल, एमडी, सीजीएमएससी