
जितेंद्र सिंह दहिया, नईदुनिया, रायपुर: प्रदेश में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया अब नए दौर में प्रवेश करने जा रही है। रायपुर के बीरगांव स्थित ड्राइविंग संस्थान एवं यातायात अनुसंधान केंद्र को अत्याधुनिक तकनीकों से लैस करने की तैयारी प्रारंभ हो गई है। परिवहन विभाग ने यहां ई-ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक (ई-ट्रैक) निर्माण के लिए निविदा प्रक्रिया शुरू कर दी है।
परिवहन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, नए ई-ट्रैक पर ड्राइविंग टेस्ट एआइ कैमरे और सेंसर तकनीक की मदद से होगा। सड़क पर वाहन नियंत्रण, लेन अनुशासन, गति नियंत्रण, सिग्नल पालन जैसे सभी मानकों को सेंसर स्वतः रिकार्ड करेंगे। रायपुर के साथ ही राज्य के सात अन्य जिलों दुर्ग, बिलासपुर, जांजगीर-चांपा, जगदलपुर, अंबिकापुर, रायगढ़ और कोरबा में भी ई-ट्रैक स्थापित किए जाएंगे। अगले कुछ महीनों में छत्तीसगढ़ देश के उन चुनिंदा राज्यों में शामिल होगा, जहां ड्राइविंग टेस्ट पूरी तरह डिजिटल और पारदर्शी व्यवस्था से लिया जाएगा।
परिवहन विभाग का दावा है कि इससे न केवल प्रक्रिया तेज होगी, बल्कि सही और प्रशिक्षित चालकों को चयनित कर सड़क दुर्घटनाओं में भी कमी लाई जा सकेगी। प्रदेश में यह व्यवस्था लागू होने जा रही है। यहां एल-शेप, एच-शेप, ब्रेक टेस्ट, स्लोप जैसे सभी परीक्षण सेंसरों द्वारा रिकार्ड होंगे।
लाइसेंस बनवाने के इच्छुक लोग अब ऑनलाइन आवेदन कर अपाइंटमेंट बुक कर सकेंगे। निर्धारित तारीख पर ई-ट्रैक पर टेस्ट देना होगा। सेंसरों द्वारा दर्ज डाटा सीधे पोर्टल पर अपलोड होगा और योग्य आवेदकों को डिजिटल फीडबैक के साथ लाइसेंस जारी किया जाएगा।
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अब तक ड्राइविंग टेस्ट परिवहन अधिकारी की उपस्थिति में लिया जाता है और इसी कारण कई बार भेदभाव और भ्रष्टाचार की शिकायतें भी सामने आती थीं। नई व्यवस्था में यह समस्या पूरी तरह समाप्त हो जाएगी, क्योंकि परीक्षण से लेकर अंतिम परिणाम तक मानव हस्तक्षेप शून्य रहेगा।
प्रदेश में ड्राइविंग टेस्ट के लिए ई-ट्रैक बनान के लिए निविदा प्रक्रिया की जा रही है। ई-ट्रैक लागू होने के बाद ड्राइविंग लाइसेंस प्रक्रिया और अधिक विश्वसनीय, पारदर्शी और आधुनिक बनेगी।
-एस. प्रकाश, सचिव, परिवहन विभाग