नईदुनिया प्रतिनिधि, रायपुर। राजधानी में जालसाजों ने गवर्मेंट इंजीनियरिंग कॉलेज के बुजुर्ग प्रोफेसर को डिजिटल अरेस्ट का झांसा देकर 88 लाख रुपये की ठगी कर ली। खुद को टेलीकॉम विभाग और पुलिस अधिकारी बताकर जालसाजों ने प्रोफेसर संतोष दबड़घाव (62) को मनी लांड्रिंग, मानव तस्करी और एक्सटॉर्सन जैसे गंभीर अपराधों में फंसाने का डर दिखाया।
पीड़ित के खाते से जब संदिग्ध खातों में 13 लाख रुपये डाले गए थे, उस समय साइबर पुलिस को जानकारी हाथ लग गई थी। पुलिस की टीम ने जाकर पूछताछ भी की। लेकिन ठगों के जाल और डर की वजह से प्रोफेसर ने पुलिस को कुछ भी नहीं बताया और कहा सब कुछ सामान्य है। पुरानी बस्ती थाना पुलिस ने अपराध दर्ज किया है।
भाठागांव, जलगृह मार्ग स्थित अभिनंदन टावर निवासी प्रोफेसर संतोष को 19 जून से 16 जलाई के बीच अलग-अलग तरीकों से जाल में फंसाया गया। शुरुआत में एक अज्ञात कॉलर ने खुद को बेंगलुरु टेलीकॉम विभाग से बताया और कहा कि उनके मोबाइल नंबर से अपराध हुआ है। फिर एक अन्य नंबर से पुलिस अधिकारी बनकर बात करते हुए आरोपियों से बचाने फर्जी जांच की कहानी गढ़ी गई।
जालसाजों ने आधार और मोबाइल नंबर के जरिए मानव तस्करी व मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगाकर प्रोफेसर से उनकी बैंक जानकारी हासिल की। राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए कहा गया कि सुरक्षा की दृष्टि से रकम दूसरे अकाउंट में ट्रांसफर करनी होगी। एक माह में प्रोफेसर से चार अलग-अलग खातों में कुल 88 लाख रुपये ट्रांसफर करा लिए गए।
फर्जी सुप्रीम कोर्ट के आदेश और गिरफ्तारी की धमकी देकर प्रोफेसर का म्यूचुअल फंड भी तुड़वाया गया। अंत में रकम वापस करने के नाम पर 31 लाख की और मांग की गई। घबराकर प्रोफेसर ने पत्नी के जेवर गिरवी रख बैंक से लोन लेकर रकम ट्रांसफर कर दी।