रायपुर ( नईदुनिया प्रतिनिधि )। Raipur Railway Child Help News: कोरोना संकटकाल के बीच लाकडाउन में रायपुर रेलवे स्टेशन में करीब चार महीने ट्रेनों की आवाजाही बंद थी। अनलाक में ट्रेन पटरी पर लौटी तो अलग-अलग राज्यों से लवारिश हालत में बच्चे स्टेशन में मिले।पिछले ढाई साल के भीतर ऐसे करीब चार सौ बच्चों को रेलवे स्टेशन में कार्यरत चाइल्ड हेल्प लाइन ने सहारा दिया है। अकेले जनवरी 2021 से जुलाई के बीच करीब 35 ऐसे बच्चों को न केवल बाल आश्रय में रखवाया बल्कि उनके स्वजनों तक पहुंचाने का भी काम किया। रेलवे के अधिकारियों ने भी इन मासूम बच्चों की मदद की है।
रायपुर रेल लंबी दूरी की ट्रेनों से अक्सर बच्चे भागकर अथवा यात्रा के दौरान परिवार से बिछड़कर रायपुर स्टेशन आ जाते हैं। ऐसे बच्चों की संख्या प्रतिमाह औसतन 15 से 20 है। इन बच्चों को घर पहुंचाने और उनके पुनर्वासन पर रेलवे चाइल्ड लाइन लंबे समय से काम कर रही है। कई बार जब ऐसे बच्चे जब शाम पांच बजे के बाद मिलते हैं तो उन्हें रात भर सुरक्षित रखने की बड़ी समस्या से रेलवे चाइल्ड लाइन की टीम को जूझना पड़ता है।
जानकारी के मुताबिक राजधानी रायपुर में पिछले कई सालों से संकल्प संस्कृति समिति बेसहारा बालक-बालिकाओं को सहारा देने का काम करती आ रही है। यह समिति रेलवे स्टेशन में चाइल्ड हेल्प लाइन से जुड़कर काम कर रही है। पिछले ढाई साल के भीतर रेलवे चाइल्ड लाइन की टीम ने करीब तीन सौ ऐसे बच्चों को आसरा दिया जो दूसरे राज्यों से किन्ही कारणों से ट्रेन में बैठकर यहां पहुंचकर भटकते मिले थे। रेलवे चाइल्ड लाइन के प्रोजेक्ट कोआडिनेटर सागर शर्मा ने बताया कि वर्ष 2019-20 में 194 और 2020-21 में अब तक 190 बालक-बालिकाओं को आश्रय दिया है।
केस वन
बिहार के भागलपुर जिले का रहने वाला 15 वर्षीय बालक अपनी मां की फटकार से दुखी होकर ट्रेन में बैठकर 22 जुलाई को रायपुर रेलवे स्टेशन में पहुंचा।रेलवे के अधिकारियों ने बालक को परेशान हालत में भटकते देखकर चाइल्ड लाइन को सौंपा। इसके बाद उसे बाल आश्रम में कुछ दिन रखने के बाद स्वजनों तक पहुंचा दिया गया।

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हरियाणा के फतेहपुर की एक मानसिक कमजोर बालिका रिम्स में भर्ती थी। वह रिम्स से निकलकर रायपुर रेलवे स्टेशन भटकते हुए पहुंची थी। रेलवे चाइल्ड लाइन की टीम ने बालिका को आश्रय देने के साथ स्वजनों की तलाश कर बालिका को सौंपा।
इनका कहना है
रेलवे स्टेशन में कार्यरत चाइल्ड लाइन अच्छा काम कर रही है। दूसरे राज्यों से स्टेशन में आने वाले बच्चों को सरकारी खर्चे पर आश्रय देने के साथ उनकी पढ़ाई की व्यवस्था की गई है। अगर कोई अनाथ बच्चा मोहल्ले में भी भटकता दिखे तो चाइल्ड लाइन को सूचना देकर उसकी मदद करे। कोरोना काल में जिन बच्चों के सिर से मां-बाप का साया उठ गया है, उन बच्चों को भी मदद करना हम सभी का कर्तव्य है।
-राकेश सिंह, स्टेशन डायरेक्टर-रायपुर रेलवे स्टेशन
संकल्प संस्कृति समिति 32 साल से बिछ़ड़े, बेसहारा बच्चों को सहारा दिलाने का काम कर रही है।रेलवे स्टेशन में ऐसे बच्चों को चाइल्ड लाइन मदद कर रही है।कोरोना काल में अनाथ हुए कई बच्चों को सहारा दिया गया है
-मनीषा शर्मा, डायरेक्टर-संकल्प संस्कृति समिति।
Posted By: Kadir Khan