
नईदुनिया प्रतिनिधि, रायपुर: छत्तीसगढ़ में स्तन कैंसर महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए गंभीर चिंता का विषय बनता जा रहा है। प्रदेश के बड़े सरकारी अस्पतालों में हर माह सैकड़ों मरीज पहुंच रहे हैं, जबकि वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक बताई जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि कई मामलों में महिलाएं देर से जांच कराती हैं, जिससे कैंसर शरीर के दूसरे अंगों तक फैल जाता है और उपचार मुश्किल हो जाता है।
प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल डॉ. आंबेडकर में प्रतिदिन 20 से 25 महिलाओं की स्क्रीनिंग होती है, जिनमें से 2 से 3 मरीजों में स्तन कैंसर होने की संभावना पाई जाती है। अस्पताल में इस वर्ष करीब 300 ब्रेस्ट कैंसर सर्जरी की जा चुकी हैं। इसी तरह एम्स रायपुर में हर महीने लगभग 200 मरीज पहुंच रहे हैं और वहां प्रति वर्ष करीब 150 ऑपरेशन होते हैं।
डॉक्टर बताते हैं कि ग्रामीण और दूरस्थ इलाकों की महिलाएं जांच को लेकर जागरूक नहीं होतीं और अस्पताल तभी पहुंचती हैं, जब बीमारी काफी बढ़ चुकी होती है। कई मामलों का पंजीयन नहीं हो पाता, ऐसे में वास्तविक आंकड़ा जारी रिपोर्ट से कहीं बड़ा हो सकता है।
सबसे खतरनाक रूप है मेटास्टेटिक स्तन कैंसर, जिसमें बीमारी स्तन से फैलकर मस्तिष्क, फेफड़े, हड्डियों और यकृत तक पहुंच जाती है। विशेषज्ञों के अनुसार शुरुआती चरण में इलाज कराने वाली हर तीन में से एक महिला को बाद में मेटास्टेटिक स्तन कैंसर हो सकता है। यह बीमारी के गंभीर रूप और देर से जांच कराए जाने की स्थिति को दर्शाता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि ब्रेस्ट कैंसर कितनी तेजी से फैलता है, यह कई चीजों पर निर्भर करता है। एचईआर-2 पॉजिटिव जैसे कुछ कैंसर प्रकार ज्यादा आक्रामक होते हैं और तेजी से बढ़ते हैं। कैंसर का ग्रेड, स्टेज, रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली और अनुवांशिक कारक इसकी गति को प्रभावित करते हैं। चिकित्सक बताते हैं कि सामान्यतः कैंसर का आकार करीब 6 माह में दोगुना हो जाता है, हालांकि हर मरीज में यह दर अलग होती है।
समय रहते इलाज से ही इस बीमारी से बचा जा सकता है
डॉ. आंबेडकर अस्पताल के कैंसर विशेषज्ञ डॉ राजीव जैन के अनुसार समय रहते जांच इस बीमारी को मात देने की सबसे बड़ी कुंजी है। यदि स्तन में कोई गांठ, त्वचा का बदलाव, दर्द या किसी असामान्य लक्षण का पता चले, तो इसे नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है। कुछ दिन में भी बदलाव न दिखे तो तुरंत डाक्टर से संपर्क करना आवश्यक है।
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छत्तीसगढ़ में स्तन कैंसर की चुनौती चिकित्सा के साथ-साथ सामाजिक भी है। ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता कार्यक्रम बढ़ाने, जांच सुविधाओं को सुलभ बनाने और महिलाओं में हिचक दूर करने की जरूरत है। स्तन कैंसर का शुरुआती पता लगना न सिर्फ जान बचाता है बल्कि उपचार को सरल और किफायती भी बनाता है।