राज्य ब्यूरो,नईदुनिया, रायपुर: मान्यता के लिए रिश्वत देने का भंडाफोड़ होने के बाद श्री रावतपुरा मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है। इस साल जीरो ईयर घोषित हो सकता है। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग इस मामले में कार्रवाई करने की तैयारी में है। बताया जा रहा है कि इस साल कॉलेज में फर्स्ट ईयर कोई भी एडमिशन नहीं होगा।
वहीं, कॉलेज को मान्यता दिलाने के नाम पर 55 लाख की रिश्वत के साथ सीबीआई ने 3 लोगों को गिरफ्तार किया है। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के निरीक्षण दल के तीन डॉक्टरों समेत छह आरोपियों से पूछताछ में कई अहम राजफाश हुए हैं। इस रिश्वतकांड के तार नई दिल्ली स्थित स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के आठ अफसरों के साथ ही दिल्ली, मुंबई, गुजरात, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान, आंध्रप्रदेश के निजी मेडिकल कॉलेज के करीब 15 डाक्टरों और डील करवाने वालों से जुड़े हैं।
सीबीआई ने मामले में श्री रावतपुरा मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन रविशंकर महाराज (रावतपुरा सरकार) के साथ ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, नेशनल मेडिकल कमीशन के अधिकारियों, निजी मेडिकल कालेजों के अधिकारियों समेत 35 के खिलाफ नामजद एफआइआर दर्ज कर जांच का दायरा बढ़ाया है। जांच एजेंसी के सूत्रों का दावा है कि आठ राज्यों के कई निजी मेडिकल कालेजों को मान्यता दिलाने वाले रैकेट से जुड़े आरोपितों को गिरफ्तारी शुरू कर दी गई है।
सीबीआई की दर्ज एफआइआर में बताया गया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण, नई दिल्ली के संयुक्त निदेशक एवं डिवीजन प्रमुख(एसपीई) डॉ.जीतू लाल मीणा तक गुरुग्राम, हरियाणा निवासी डॉ. वीरेंद्र कुमार ने भारी रिश्वत ली। इस पैसे से राजस्थान के सवाई माधोपुर में उन्होंने एक भव्य हनुमान मंदिर बनवाया, जिसकी लागत 75 लाख रुपये बताई जा रही है। यह पैसा हवाला के जरिए ठेकेदार भीकालाल को दिया गया था।
वहीं पुछताछ में यह भी सामने आया है कि विशाखापत्तनम के गायत्री मेडिकल कॉलेज को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग से मान्यता की मंजूरी दिलाने के बदले 2.5 करोड़ की रिश्वत ली गई। इसे कॉलेज के निदेशक वेंकट ने हवाला के जरिए दिल्ली भेजा।
स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी चंदन कुमार ने मंत्रालय की गोपनीय जानकारी गीतांजलि यूनिवर्सिटी, उदयपुर के रजिस्ट्रार मयूर रावल को दी। मयूर रावल ने टेकइंफी साल्यूशन्स प्रा.लि.,नई दिल्ली के प्रोजेक्ट हेड आर. रणदीप नायर के साथ मिलकर कई निजी कालेजों को जांच की जानकारी पहले ही दे दी, ताकि वे भी फर्जी तैयारी कर सकें।
इस मामले में स्वामीनारायण इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (गुजरात), नेशनल कैपिटल रीजन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (मेरठ) और अन्य कालेजों ने फर्जीवाड़ा कर अपने पक्ष में रिपोर्ट बनवाई। पूरा मामला मेडिकल कालेजों के निरीक्षण प्रक्रिया में गड़बड़ी, फर्जी फैकल्टी की नियुक्ति और बायोमेट्रिक रिकार्ड में हेरफेर से जुड़ा निकला है।
आरोप है कि 30 जून को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के निरीक्षण टीम के चार सदस्य नवा रायपुर स्थित श्री रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च पहुंचे थे। कॉलेज के डायरेक्टर अतुल कुमार तिवारी ने संस्थान के पक्ष में रिपोर्ट बनाने के लिए जांच टीम को पैसों का ऑफर किया। यह ऑफर सीधे मांड्या इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस बेंगलुरु में आर्थोपेडिक्स डिपार्टमेंट की एचओडी व राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग जांच दल की प्रमुख डऑ. मंजप्पा को दिया था। डॉ. मंजप्पा ने सतीश एए को हवाला आपरेटर से 55 लाख रुपए इकट्ठा करने के निर्देश दिए। इसके बाद पूरे मामले का भंडाफोड़ हुआ।
आरोपियों में भाजपा नेत्री की डाक्टर बेटी भीएनसीआर मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर की असिस्टेंट मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. शिवानी अग्रवाल का नाम भी जांच में आया है। दस साल से मेरठ के इस मेडिकल कॉलेज का संचालन डॉ. शिवानी और उनकी बहन डॉ हिमानी कर रही हैं, जो पूर्व एमएलसी एवं भाजपा नेत्री डॉ. सरोजिनी अग्रवाल की बेटी हैं। डॉ. हिमानी उत्तर प्रदेश महिला आयोग की सदस्य हैं।