नईदुनिया प्रतिनिधि, रायपुर: छत्तीसगढ़ में नया शैक्षणिक सत्र (Chhattisgarh New School Session) 16 जून से शुरू हो चुका है, लेकिन अब तक पहली से आठवीं तक के विद्यार्थियों को मुफ्त पाठ्यपुस्तकें नहीं मिल पाई हैं, जिससे वे खाली बस्ता लेकर स्कूल जाने को मजबूर हैं। स्कूल खुले लगभग 10 दिन बीत चुके हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम बच्चों के भविष्य की चिंता नहीं है। इसकी वजह से बच्चों की पढ़ाई लगातार प्रभावित हो रही है।
इस संबंध में पाठ्य पुस्तक निगम के अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है। छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को पत्र लिखकर जल्द किताबें उपलब्ध करने की मांग की है। साथ ही किताबें नहीं होने से पढ़ाई में हो रहे नुकसान से अवगत कराया है। एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने कहा कि प्रदेश में अशासकीय स्कूलों को हर साल पाठ्य पुस्तक निगम फ्री पुस्तकें उपलब्ध कराता है।
उन्होंने आगे कहा, 'इस साल प्रदेश के किसी भी स्कूल में अब तक किताबें उपलब्ध नहीं हो पाई है। ऐसी स्थिति में विद्यार्थियों तक किताब पहुंचने में कम से कम 15 जुलाई तक समय लगेगा। इस एक महीने में विद्यार्थियों के पास पढ़ने के लिए कुछ भी नहीं है। हमारी मांग है कि स्कूलों को कम से कम किताबों का पीडीएफ ऑनलाइन उपलब्ध कराया जाए, ताकि पाठ्यक्रम की पढ़ाई शुरू की जा सके।'
राजीव गुप्ता ने बताया कि किताबें समय पर नहीं मिलने से अधिकांश अशासकीय स्कूलों में निजी प्रकाशक की पुस्तकें पढ़ानी शुरू कर दी गई है। बता दें कि शासन की ओर से पहली से दसवीं के विद्यार्थियों को फ्री पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध कराई जाती है।
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने इस साल कक्षा चौथी, पांचवीं, सातवीं और आठवीं के पाठ्यक्रमों में बदलाव किया है। इस कारण अभी तक इनकी किताबें बाजार में नहीं आई हैं, जबकि एक अप्रैल से स्कूल शुरू हो चुके हैं।
वहीं सीबीएसई स्कूल के शिक्षकों का कहना है कि उनके पास जो किताबें हैं, उसी किताबों को पढ़ाया जा रहा है। शिक्षकों का कहना है कि पाठ्यक्रम बदलाव से पूरी किताबें छप नहीं पाई हैं, जिससे बच्चों को नई किताबें मिलने में देरी हो रही है। इससे सीबीएसई और केंद्रीय विद्यालय में पढ़ने वाले हजारों विद्यार्थियों की परेशानी बढ़ गई है। अब एनसीइआरटी की किताबें भी 15 जुलाई के आसपास मिलने की संभावना जताई जा रही है।