नईदुनिया,रायपुर: शिक्षक-विहीन स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए की गई युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया में अधिकारियों की मनमानी सामने आई है। बीजापुर में काउंसिलिंग की ओर से की गई पदस्थापना के बाद कलेक्टर- शिक्षा अफसरों ने पोस्टिंग में मनमानी संशोधन कर 29 शिक्षकों को मनचाही पाेस्टिंग दे दी।इ
सी तरह रायपुर में हुई पदस्थापना के विरोध में शिक्षकों ने आपत्ति की तो कई मामलों में शिक्षा विभाग बैकफुट पर है और ये साबित हुआ कि विभाग की गड़बड़ी के कारण मनमानी पदस्थापना हुई। आदेशों को संशोधित करना पड़ रहा है। अफसरों की मनमानी के कारण प्रदेश के लगभग तीन हजार शिक्षकों को कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा है, जिससे स्कूल शिक्षा विभाग पर न्यायालयीन मामलों का बोझ बढ़ गया है।
बीजापुर में किए गए पोस्टिंग घोटाले का आदेश इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित हुआ तो स्कूल शिक्षा मंत्री गजेंद्र यादव ने मामले को संज्ञान में लिया और उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि कोई कलेक्टर या अफसर पदस्थापना में बदलाव न करें। इसके बाद अधिकारी हरकत में आए और आनन-फानन में आदेश निरस्त किया गया। बीजापुर में युक्तियुक्तकरण के बाद पदस्थ किए गए शिक्षकों को विकासखंड शिक्षा अधिकारी (BEO) और जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) ने मिलकर नई जगहों पर संलग्न कर दिया। इसमें जिले के कलेक्टर संबित मिश्रा ने भी सहमति दी थी।
बस्तर के संभागीय संयुक्त संचालक कार्यालय ने भी इस बदलाव को अनुचित बताया और राज्य सरकार को सूचित किया है। इस संबंध में बीजापुर के डीईओ लखनलाल धनेलिया ने बताया कि ज्यादातर महिला शिक्षक थीं, जिन्हें दूरस्थ और अति संवेदनशील क्षेत्रों में पदस्थ किया गया था। उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कलेक्टर की सहमति से यह संशोधन किया गया था, जिसे अब निरस्त कर दिया गया है।
बीजापुर में इस तरह की गड़बड़ी की एक वजह यह भी बताई जा रही है कि जिले में इन दिनों जिला शिक्षा अधिकारी की कुर्सी पर दो अधिकारी अपना दावा कर रहे हैं। 10 जुलाई 2025 को राज्य सरकार ने राजकुमार कठोते को प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी बनाया था, जबकि लखनलाल धनेलिया को कोंडागांव स्थानांतरित कर दिया गया था। हालांकि, लखनलाल धनेलिया ने कोर्ट से स्टे ले लिया है और अभी तक प्रभार नहीं दिया है।
युक्तियुक्तकरण में गड़बड़ी सिर्फ बीजापुर तक सीमित नहीं है। रायपुर में भी लगभग 250 शिक्षकों ने अपनी पदस्थापना पर आपत्ति जताते हुए आवेदन दिए हैं। इन मामलों की सुनवाई रायपुर संभागीय शिक्षा कार्यालय के संयुक्त संचालक संजीव श्रीवास्तव की समिति कर रही है। शिकायत मिली है कि धरसींवा, अभनपुर, आरंग और तिल्दा विकासखंडों में शिक्षकों की पदस्थापना में संशोधन करना पड़ रहा है।
अभनपुर बीईओ धनेश्वरी साहू ने बताया कि अभी तक केवल दो शिक्षकों की पदस्थापना में समिति के आदेश के बाद संशोधन हुआ है। धरसींवा की तत्कालीन बीईओ वंदना शुक्ला के समय भी कई गड़बड़ आदेश निकाले गए थे, जिनमें अब संशोधन किया जा रहा है। वर्तमान बीईओ अमित तिवारी ने संशोधन से संबंधित जानकारी देने में असमर्थता जताई है।
शिक्षाविदों का कहना है कि रायपुर आरंग में बीईओ दिनेश मिश्रा, धरसींवा बीईओ अमित तिवारी और अभनपुर बीईओ धनेश्वरी साहू तीनों पहली बार बीईओ बने हैं। अनुभव की कमी के बाद भी उच्च अधिकारियों ने इन्हें राजधानी के विकासखंडों में पदस्थ किया है, इसके कारण गड़बड़ी अधिक हो रहीं हैं। इसी तरह तिल्दा में तो शिक्षा विभाग की जगह ट्राइबल विकास विभाग के कर्मी को ही बीईओ बना दिया गया।
पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में पदोन्नति के बाद 2,723 शिक्षकों की पदस्थापना बदली गई थी। इस पोस्टिंग घोटाले में दबाव के बाद तत्कालीन स्कूल शिक्षा मंत्री रविंद्र चौबे ने तीन संयुक्त संचालक समेत 14 कर्मियों को निलंबित किया था। इस मामले की जांच अभी भी चल रही है।
शिक्षा सचिव स्कूल सिद्धार्थ कोमल परदेशी की जिम्मेदारी है कि वे युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया की निगरानी करें और गलत आदेशों पर कार्रवाई करें, लेकिन वे मीडिया से दूरी बनाए हुए हैं।
लोक शिक्षण संचालनालय के शिक्षा संचालक ऋतुराज रघुवंशी को हर जिले में पदस्थापना सुनिश्चित करनी चाहिए, लेकिन उन्होंने भी अपने स्तर पर कोई निगरानी नहीं की है।
छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा मंत्री, गजेंद्र यादव ने कहा, 'मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के मार्गदर्शन में शिक्षक विहीन स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए युक्तियुक्तकरण किया गया है। पदस्थापना में संशोधन की गड़बड़ी की शिकायत मिलने के बाद शिक्षा सचिव को कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।'
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