
रायपुर। देशभर में रीढ़ की हड्डी की बीमारियां लोगों के लिए खतरनाक साबित हो रही हैं। इन बीमारियों से कैसे निजात पाएं, इसे लेकर चौतरफा मंथन हो रहा है। इसी कड़ी में शुक्रवार को राजधानी के एक निजी होटल में देश भर के विशेषज्ञों ने अपनी बात रखी। विशेषज्ञों के मुताबिक टीबी जैसी बीमारी अब रीढ़ की हड्डी में जा पहुंची है। इसका मुख्य कारण बन रही है जीवन शैली।
देर रात तक जागना, कुर्सी पर बैठे रहना और दिनभर बैठकर एक स्थिति में काम करने से रीढ़ की हड्डी कमजोर हो रही है। ऐसी स्थिति वाले 10 प्रतिशत लोग टीबी के शिकार हैं। स्तर कुछ ऐसा हो जाता है कि कमजोरी के कारण टीबी जैसी बीमारी रीढ़ की हड्डी को पूरी तरह से खोखला कर देती है।
दस मिनट का दर्द भी जानलेवा
आपको रोजाना 10 मिनट के करीब कमर, पीठ तक दर्द हो रहा है तो तत्काल डॉक्टर से सलाह लें। इसके अलावा सीटी स्कैन या एमआरआइ कराएं, नहीं तो टीबी जैसी बीमारी शरीर के अंदर पहुंचने में देर नहीं करेगी। समय रहते इलाज कराया गया तो एक महीने में आ ठीक हो जाएंगे। नहीं तो पूरी की पूरी रीढ़ की हड्डी बदलनी पड़ेगी।
सेमिनार में पहुंचे बांबे अस्पताल के डॉ. विशाल कुंदनानी ने रीढ़ की हड्डी में होने वाली बीमारियों को विस्तार से बताया। मौके पर नागपुर आर्थो स्पेशिलिटी हॉस्पिटल के डॉ. मनोज सिंगरखिया ने होने वाली बीमारियों से बचाव के सुझाव दिए। इस अवसर पर रायपुर से डॉ सुनील खेमका, डॉ. एस के फुलझरे मौजूद रहे।
इस तरह न चलाएं काम
पीठ दर्द को आम दर्द मानकर नजरअंदाज न करें। इसे मामूली समझना या फिर पेन किलर खाकर टाल देना ठीक नहीं। बांबे हॉस्पिटल के स्पाइन के विशेषज्ञ विशाल कुंदनानी की मानें तो हाल के दिनों में ऐसे केसों की संख्या में इजाफा हुआ है, जो पीठ दर्द को मामूली मानकर अनदेखा करते रहे। समस्या बढ़ने पर पहुंचे तो स्पाइनल टीबी निकलकर सामने आई।
रीढ़ की हड्डी में बन सकता है ट्यूमर
रीढ़ की हड्डी, जो कि स्पाइन में सुरक्षित रहती है उसमें लगातार कुर्सी में बैठे रहने से ट्यूमर हो सकता है। जो लोग लगातार कुर्सी में बैठकर काम करते हैं, उन्हें रीढ़ की हड्डी में ट्यूमर हो सकता है। वजह ये बनती है कि नसों में खून का बहाव रुक जाता है, जो रीढ़ की हड्डी के पास ट्यूमर बनने में देरी नहीं करता।
केस बताकर समझाया कि कैसे होती है दिक्कत
हाल ही का आपको एक केस बता रहा हूं। इसका ऑपरेशन करने में हमें काफी दिक्कत हुई थी। तीन साल की बच्ची दो साल की उम्र में बेड से गिर गई। उसकी रीढ़ की हड्डी में चोट आई, वह रोती थी, मगर माता-पिता नजर अंदाज करते गए।
एक साल गुजर गया, तब उस बच्ची को लाया गया। हमने देखा कि बच्ची की रीढ़ की हड्डी में टीबी की बीमारी पूरी तरह फैल चुकी थी। बच्ची का ऑपरेशन हुआ। आज वह ठीक है, लेकिन हमें कृत्रिम रीढ़ की हड्डी लगानी पड़ी। यदि बच्ची को उसी समय लाया जाता तो मेडिसिन से ही वह ठीक हो सकती थी।
रीढ़ की हड्डी में होने वाली बीमारी के मुख्य लक्षण
- पीठ में अकड़न
- रीढ़ की हड्डी में असहनीय दर्द
- रीढ़ की हड्डी में झुकाव
- पैरों और हाथों में हद से ज्यादा कमजोरी और सुन्न्पन
- हाथों और पैरों की मांसपेशियों में खिंचाव
- यूरिन पास करने में परेशानी
- रीढ़ की हड्डी में सूजन य सांस लेने में दिक्कत