छत्तीसगढ़ में करीब 20 हजार 'मौत' के कुएं, वन्य प्राणियों पर मंडरा रहा खतरा
छत्तीसगढ़ में तकरीबन 20 हजार मौत के कुएं हैं। इनमें कुछ कुएं सूखे हैं और कुछ में पानी भरा हुआ है। दोनों ही स्थितियों में यह वन्य प्राणियों के लिए खतरनाक है। बारनवापारा अभयारण्य में तीन नवंबर की रात खुले कुएं में एक शावक सहित तीन हाथियों के गिरने की घटना के बाद वन्य प्राणियों को लेकर हाई कोर्ट सख्त है।
Publish Date: Thu, 20 Nov 2025 08:25:57 AM (IST)
Updated Date: Thu, 20 Nov 2025 08:26:23 AM (IST)
कुछ दिन पहले शावक सहित हाथी कुएं में गिर गए थे। l फाइल फोटोHighLights
- वन्य प्राणियों को लेकर हाई कोर्ट सख्त
- ढंकने के संबंध में सरकार के पास कोई योजना नहीं
- दो महीने के भीतर दो बड़ी घटनाएं घटी
नईदुनिया प्रतिनिधि, रायपुर: बारनवापारा अभयारण्य में तीन नवंबर की रात खुले कुएं में एक शावक सहित तीन हाथियों के गिरने की घटना के बाद वन्य प्राणियों को लेकर हाई कोर्ट सख्त है। छत्तीसगढ़ में तकरीबन 20 हजार मौत के कुएं हैं। इनमें कुछ कुएं सूखे हैं और कुछ में पानी भरा हुआ है। दोनों ही स्थितियों में यह वन्य प्राणियों के लिए खतरनाक है।
रायपुर निवासी वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने इसे वन विभाग की घोर लापरवाही बताया। वन क्षेत्र और उसके आसपास के क्षेत्रों में खुले हुए और सूखे कुओं को बंद करने को लेकर वे 2018 से मांग कर रहे हैं।
कुएं को ढंकने के लिए सुप्रीम कोर्ट का आदेश है
इन खुले कुओं को ढंकने के संबंध में राज्य सरकार के पास कोई योजना नहीं है। जबकि जंगलों में स्थित कुएं को ढंकने के लिए सुप्रीम कोर्ट का आदेश है। फिर भी प्रदेश में पालन नहीं किया जा रहा है। हाल ही में प्रदेश में दो महीने के भीतर दो बड़ी घटनाएं घटी हैं। पहली घटना रायगढ़ जिले की है। जहां तालाब में हाथी का शावक फंस गया था। जिसे कई घंटे की मशक्कत के बाद वन विभाग की टीम ने रेस्क्यू कर सुरक्षित बाहर निकालने के बाद जंगल में छोड़ दिया था। दूसरी घटना बलौदाबाजार-भाटापारा जिले के बारनवापारा वन क्षेत्र का है। गहरे कुएं में चार हाथी गिर गए थे।
2022 के आदेश का पालन नहीं
केंद्र सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने भी कार्रवाई करने के लिए वर्ष 2021 में छत्तीसगढ़ शासन को पत्र लिखा था। केंद्र ने देश के सभी प्रदेशों और केंद्र शासित प्रदेशों को खुले हुए कुओं को बंद करने के लिए 2022 में आदेश दिया था। पिछले सात साल से वन विभाग ने इन कुओं को सुरक्षित करने के लिए राज्य शासन से बजट प्राप्त करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की। प्रदेश में वन क्षेत्र और उसके आसपास खुले और सूखे कुओं की संख्या 20 हजार से ज्यादा होने का अनुमान है। 2024 में कैंपा फंड से सिर्फ 450 खुले कुओं पर सुरक्षा दीवार बनाकर सुरक्षित किया गया।
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2017 की घटना से नहीं लिया सबक
साल 2017 में प्रतापपुर के पास एक हथिनी सूखे कुएं में गिर गई थी। उसे क्रेन से निकाला गया, लेकिन तत्काल ही उसकी मौत हो गई। इस घटना के बाद भी वन विभाग नहीं जागा। हर साल कई भालू, तेंदुए, लकड़बग्घे और अन्य जानवर इन कुओं में गिरकर या तो मर जाते हैं या घायल हो जाते हैं। जिन्हें बाद में आजीवन चिड़ियाघर में कैद रहना पड़ता है। इसको लेकर वन्यजीव प्रेमियों में भारी आक्रोश है।