
जितेंद्र सिंह दहिया, नईदुनिया, रायपुर: ट्रेन के बाथरूम में छुपकर गोवा से नागपुर पहुंचे… फिर पांच दिन पैदल चलकर रायपुर आए। पूरे रास्ते कोई मदद नहीं मिली। थके, भूखे और डरे हुए थे। तेलीबांधा यातायत थाना प्रभारी विशाल कुजूर ने जब पूछा कि आठ दिन बिना पैसे कैसे गुजारे, दोनों का जवाब सुनकर उनका गला भर आया।
कहानी यह है कि थाना प्रभारी विशाल कुजूर ने बताया दो दिन पहले ड्यूटी के दौरान उनके आरक्षक ने बताया कि दो युवक नागपुर से पैदल आए हैं और झारसुगुड़ा जाने का रास्ता पूछ रहे हैं। शक होने पर टीआई कुजूर ने जब उनसे बातचीत की, तो उनकी दर्दभरी कहानी सुनकर वे खुद भी भावुक हो उठे।
दोनों युवक, प्रदीप और संतोष, सुंदरगढ़ (ओडिशा) के अंदरूनी गांव से किसी एजेंट के जरिए मछली पकड़ने के काम के बहाने गोवा ले जाए गए थे। तीन महीने तक काम कराने के बाद भी मजदूरी नहीं दी गई। जब उन्होंने विरोध किया, तो पानी जहाज के मालिक ने मारपीट कर उन्हें भगा दिया। डर और लाचारी के कारण वे गोवा पुलिस तक भी नहीं गए। जेब में एक सौ रुपये तक नहीं थे।
पीड़ित युवकों ने बताया कि दोनों का मोबाइल फोन, आधार कार्ड और जरूरी दस्तावेज गोवा में ही कंपनी मालिक ने जब्त कर लिया हैं। जब उन्होंने अपने घरवालों से संपर्क कराने की कोशिश की, तो मोबाइल स्विच ऑफ मिला, उनके गांव में नेटवर्क ही नहीं मिलता। इसलिए बिना पैसे के पैदल ही चले आए।
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यह सुनकर स्थिति समझते ही टीआई विशाल कुजूर ने तुरंत दोनों को भोजन कराया, आर्थिक मदद दी और झारसुगुड़ा तक का टिकट खरीदकर स्वयं ट्रेन में बैठाया। अपना मोबाइल नंबर देकर कहा...घर पहुंचकर कॉल करना और गांव के सरपंच की मदद से एजेंट और मालिक की शिकायत स्थानीय थाने में जरूर करना।
कोई ऐसा पैदल जाता दिखाई दे तो जरूर पूछिए… मदद कीजिए। पता नहीं किस हाल में चल रहा होगा। संयोग भी भावुक कर देने वाला रहा। यह पूरी घटना 22 नवंबर को हुई, वही तारीख जब वर्ष 2017 में उनकी पहली पोस्टिंग कुनकुरी थाने में हुई थी। कोरोना काल के वे दिन याद आ गए, जब लोग पैदल सफर करते थे और समाज ने बढ़-चढ़कर मदद की थी।
-विशाल कुजूर, थाना प्रभारी, यातायत, तेलीबांधा