
नईदुनिया न्यूज सुकमा। आंध्र प्रदेश के मारेदुमिल्ली में मारा गया एक करोड़ का इनामी माओवादी हिड़मा और उसकी पत्नि राजे का शव गृहग्राम पूवर्ति लाया गया, जहां आदिवासी संस्कृति से अंतिम संस्कार एक ही चिता पर किया गया। हिड़मा को जहां काले कपड़े पहनाए गए तो दूसरी और राजे को लाल जोड़ा पहनाया गया। वही अधिकांश ग्रामीण सिर्फ हिड़मा को देखने के लिए पहुंचे थे। साथ ही समाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी भी हिड़मा से लिपटकर रोई और अंतिम संस्कार में शामिल हुई।
इस दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम थे, जहां दूरदराज से काफी संख्या में ग्रामीण पहुंचे थे। इस तरह बस्तर के माओवाद संगठन का पोस्टर ब्याय हिड़मा का अंत हुआ। गुरुवार सुबह 8 बजे खूखांर माओवादी नेता हिड़मा और उसकी पत्नि राजे का शव पूवर्ति पहुंचा। एक दिन पहले हिड़मा के बड़े भाई मुया शव लेने के लिए आंध्र प्रदेश गए थे। सुरक्षा की मद्देनेजर शव को थोड़ी देर के लिए सीआरपीएफ कैंप में रखा गया था। उसके बाद 9 बजे हिड़मा के बड़े भाई मुया के घर लाया गया। जहां पहले से परिजनों के अलावा ग्रामीण मौजूद थे।
दोनों शवों को आदिवासी संस्कृति से नलाया और अन्य प्रक्रिया की गई। सुबह ग्रामीणों की भीड़ कम थी, लेकिन जब शवों को अंतिम संस्कार के लिए ले जाने लगे तब तक काफी संख्या में लोग एकत्रित हो गए थे। दोनो के शवों को घर से करीब 1 किमी. दूर श्मशान घाट ले जाया गया। जहां एक चिता पर लेटाया गया और फिर आग लगाई गई। अंतिम यात्रा में शामिल होने वाले अधिकांश ग्रामीण हिड़मा को देखने पहुंचे थे, क्योंकि हिड़मा के नाम का दहशत इस इलाके में पिछले चार दशकों से था।
भले ही परिजनों में दुख का माहौल था, लेकिन हिड़मा और राजे की मौत से उन शहीद परिजनों के चेहरो पर मुस्कान आई होगी, जिनकी हत्या में ये शामिल था। ना जाने कितने निर्दोष ग्रामीणों की हत्या में हिड़मा और उसकी पत्नी शामिल रही। करीब दो बजे शवों का अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान काफी संख्या में सीआरपीएफ, जिला बल और डीआरजी के जवान सुरक्षा में तैनात रहे ताकि किसी भी अप्रिय घटना घटित ना हो। ज्ञात हो कि 18 नवंबर को छत्तीसगढ़-आंध्र प्रदेश की सीमा पर हिड़मा और उसकी पत्नि राजे मारी गई थी। उसके बाद लगातार परिजन शव सौपने की मांग कर रहे थे और 19 नवंबर की रात को शव सौपा गया, 20 नवंबर को अंतिम संस्कार किया गया।
शवों के अंतिम संस्कार करने से पहले घर पर नलाया गया। उसके बाद हिड़मा को काले कपड़े पहनाए गए क्योंकि संगठन में रहते हिड़मा काले कपड़े पहनता था। वही उसकी पत्नी राजे को लाल जोड़े में सजाया गया। क्योंकि संगठन में हीं दोनो ने शादी की थी। और एनकांउटर के समय भी वो हिड़मा के साथ में थी, इसलिए उसे लाल जोड़े में सजाया गया।
माड़वी हिड़मा और उसकी पत्नि राजे के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए समाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी पहुंची। वो सबसे पहले परिजनों से मुलाकात उसके बाद हिड़मा के शव पर काले रंग के पैंट-शर्ट डाली। उसके बाद हिड़मा के शव से लिपट कर रोई। वही अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए जब्बागट्टा, टेकलगुड़म, मीनागट्टा, बटुम से लोग पहुंचे थे।