
नईदुनिया प्रतिनिधि, सुकमा। 18 दिसंबर तक SIR सर्वे का काम पूरा हो चुका है। इस सर्वे में आए आंकड़ों पर अगर अंतिम मुहर लग जाएगी तो कोंटा विधानसभा की चुनावी तस्वीर ही बदल जाऐगी। रिर्पोट के मुताबिक कोंटा विधानसभा में कुल मतदाताओं का 18.15 फीसदी यानी कि 33557 ऐसे है जिनका नाम कटने की पुरी आशंका है। साथ ही 6581 ऐसे नाम है जिनको एक और मौका दिया जाएगा, नोटिस भेजा जाएगा। जिसमें सबसे ज्यादा दोरनापाल सेक्टर के मतदाता है क्योंकि 2005 में सल्वा जुडूम के दौरान सबसे ज्यादा इसी इलाके के मतदाता दूसरे प्रदेशों में जाकर बस गए है। 23 दिसंबर को प्रकाशन होगा और आगामी 22 जनवरी तक दावा आपत्ति ली जाएगी।
जिले के कोंटा, सुकमा और छिन्दगढ़ के सभी सेक्टरों में SIR का काम पूरा हो चुका है। 18 दिसंबर तक सर्वे पूरा कर रिर्पोट लगभग आ चुकी है। जानकारी के मुताबिक जिले में कुल 1,85,060 मतदाता है। 2003 के सर्वे में इन मतदाताओं मे से 33,597 ऐसे मतदाता पाए गए जो घरों में नहीं है या तो दूसरे जगह चले गए है या फिर मृत है। इन मतदाताओं के नाम कटने की पुरी आशंका है। क्योंकि इनका नाम ड्राप सूची में भी नहीं होगा। अगर ऐसा हुआ तो कोंटा विधानसभा की चुनावी तस्वीर पुरी तरह बदल जाएगी। इसके अलावा 6581 ऐसे मतदाता है जो घरों में नहीं मिले है।
इन्हें नोटिस दिया जाएगा और जवाब तलब किया जाएगा। जो लोग 12 दस्तावेज वाली सूची में से कोई भी दस्तावेज उपलब्ध करा देगे तो उनका नाम जुड़ जाऐंगा। जानकारी के मुताबिक आगामी 22 जनवरी तक का समय है। उसके बाद 21 फरवरी को अंतिम प्रकाशन होगा। साथ ही प्रशासनिक बेब साइट में ड्राफ्ट सूची होगी वहां अपना नाम खोज सकते है। विभाग की माने तो जिले में 100 प्रतिशत एसआईआर का सर्वे हो चुका है।
जिले में एसआईआर सर्वे में सबसे ज्यादा दोरनापाल सेक्टर में नाम कटा है। जिसमें दोरनापाल से लेकर जगरगुड़ा वाला इलाका शामिल है। इन इलाकों में 2005 सल्वा जुडूम के समय अधिकांश लोग दूसरे प्रदेशों में रहने चले गए है। इसके अलावा कई ऐसे लोग है जो उस वक्त हिंसा में मारे गए है। उसके बाद सही ढंग से सर्वे नहीं हुआ है। दोरनापाल के अलावा कोंटा सेक्टर 6 हजार, सुकमा में 5 हजार और छिन्दगढ़ सेक्टर में 5 हजार और सबसे कम तोंगपाल व गादीरास सेक्टर जहां 2 हजार नाम कटने की आशंका है।
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एसआईआर सर्वे के दौरान सबसे ज्यादा परेशानी सीमावर्ती प्रदेशों में आ रही है। क्योंकि अधिकांश ग्रामीणों की रिश्तेदारी उड़ीसा, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में है। ऐसे में यहां सर्वे हो रहा है लेकिन उड़ीसा में सर्वे नहीं हो रहा है। ऐसे में जो शादी कर के बहु लाया है या फिर कोई आकर यहां रहने लगा है वो 2003 के दस्तावेज कहा से लाएगा। और उन दस्तावेजों के लिए काफी समय भी लग रहा है। इसलिए लोगों का कहना है कि समय सीमा और बढ़ाई जानी चाहिए। क्योंकि वर्तमान में अधिकांश लोग खेती-किसानी में लगे हुए है।