नईदुनिया न्यूज, सुकमा। Kari Gundam Panchayat: गांव के रीति-रिवाज नहीं मानने वाले छह मतांतरित परिवारों को ग्रामीणों ने गांव से बेदखल कर दिया। यह घटना कोंटा विकासखंड से 80 किमी दूर स्थित करीगुंडम पंचायत का है। शनिवार को इस पंचायत के नौ गांव के लगभग 400 लोगों की एक विशेष ग्राम सभा हुई।
इस बैठक में गांव के 13 मतांतरित परिवारों को बुलाकर गांव के रीति-रिवाज, परंपरा (Sukma Village social conflict) का पालन करने की बात कही गई। ग्रामीणों की समझाइश के बाद मतांतरित परिवारों में से सात परिवारों ने मूलधर्म में वापसी कर गांव के रीति-रिवाज परंपरा का पालन करने पर सहमति दी।
छह परिवार ऐसे थे, जिन्होंने मूलधर्म में वापसी करने से मना कर दिया और गांव छोड़ने (Sukma Village Expulsion) पर सहमत होकर अपना पूरा सामान लेकर चले गए। ग्राम सभा में मतांतरित परिवारों ने बताया कि लगभग दस साल पहले उन सभी ने मतांतरित समुदाय के लोगों के चर्च जाने पर बीमारी के ठीक होने की बात कहने के बाद मत परिवर्तन कर लिया था।
इसके बाद से वे आदिवासी संस्कृति-परंपरा को छोड़ कर चर्च जाने लगे थे। गांव छोड़कर जाने वाले विनय कुमार ने बताया कि घर में लोग बीमार पड़ रहे थे और गांव के वड्डे (पुजारी) के पास जाने से स्वास्थ्य ठीक नहीं हो रहा था। इसके बाद साल 2015 से वे मतांतरित होकर चर्च जाने लगे। चर्च में प्रार्थना से बीमारी ठीक हुई है।
अब गांव के लोग दोबारा मूलधर्म में वापसी करने को कह रहे हैं, नहीं तो गांव छोड़कर जाने कहा है। अब वे गांव की संस्कृति और परंपरा से नहीं जुड़ना चाहते, इसलिए गांव छोड़कर जाना स्वीकार लिया है। गांव के सभी लोगों ने मिलकर छह परिवारों के सामान ट्रैक्टर में लादने में मदद भी की है।
करीगुंडम गांव में शनिवार की सुबह से लेकर देर शाम तक चली ग्राम सभा में मतांतरण को लेकर ग्रामीणों का जमकर गुस्सा फूटा। ग्रामीणों ने कहा कि मतांतरण से गांव की परंपरा और संस्कृति को गहरा आघात पहुंचा है। इसी तरह यदि सभी गांव की मूल परंपरा को छोड़ते जाएंगे तो एक दिन पूरी संस्कृति ही नष्ट हो जाएगी।
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लोग गांव के देवी-देवता को छोड़कर बाहरी देव को पूजने जा रहे हैं। आसपास के गांव में भी ऐसी ही स्थिति बनती जा रही है। इससे सैकड़ों वर्षों की आदिवासी परंपरा नष्ट हो रही है। इसलिए गांव की संस्कृति-परंपरा को नहीं मानने वाले को गांव में रहने का कोई अधिकार नहीं है।