
संजय कुमार शर्मा, नईदुनिया, उमरिया। जनजातीय स्किलिंग कोर्स (कौशल विकास पाठ्यक्रम) प्रोग्राम में मध्य प्रदेश के उमरिया जिले के लोढ़ा की बैगा चित्रकारी और डिडौरी व अनूपपुर की काष्ठकला को भी पढ़ाया जाएगा। दरअसल, भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय की गत 17 दिसंबर को नई दिल्ली में हुई बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार, झारखंड, मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र एवं बिहार से कई विधाओं में स्किलिंग कोर्सों के लिए एक डिजिटल लर्निंग रेड प्लेटफार्म का निर्माण किया जा रहा है।
स्किलिंग कोर्स अब और समृद्ध
इससे जनजातीय विधाओं का स्किलिंग कोर्स अब और समृद्ध होगा। इसके लिए कंटेंट कलेक्शन को मध्य प्रदेश अनुसंधान एवं विकास संस्था भोपाल की टीम उमरिया के ग्राम पंचायत लोढ़ा स्थित जनगण तस्वीरखाना में कलाकारों से बातचीत कर रही है। बैगा चित्रकारी की जानकारी के लिए तस्वीरखाना के निदेशक निमिष स्वामी के साथ बैगा चित्रकार रामरती बैगा, रूपा बैगा, हेमलता बैगा, रामबाई बैगा, सोमवती बैगा, कंचन बैगा, मुलौका बैगा, आतिश बैगा, मिंटू बैगा और संतोषी बैगा को शामिल किया गया है। कलाकारों के साथ वीडियो शूट भी किया जा रहा है।
डिजिटल लर्निंग रेड प्लेटफार्म तैयार
अनुसंधान एवं विकास संस्था भोपाल के निदेशक विकास शुक्ला ने बताया कि कई विधाओं में स्किलिंग कोर्सों के लिए एक डिजिटल लर्निंग रेड प्लेटफार्म तैयार हो जाने से जनजातीय स्किलिंग का पाठ्यक्रम बेहद आसान हो जाएगा। इससे आदिवासी कला के बारे में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नए कलाकारों और प्रशिक्षुओं को नई जानकारी देना सुविधाजनक हो जाएगा। इससे आदिवासियों के रहन-सहन, उनकी कला और संस्कृति से लेकर हर बातों की जानकारी मिल सकेगी।
प्रसिद्ध है बैगा चित्रकारी
उमरिया जिले के लोढ़ा गांव की बैगा चित्रकारी न सिर्फ पूरे देश में बल्कि विदेशों में भी काफी प्रसिद्ध है। लोढ़ा के जनगण तस्वीरखाना की स्थापना करने के बाद स्वर्गीय आशीष स्वामी ने जोधइया बाई बैगा को 60 साल की उम्र के बाद चित्रकारी सीखने के लिए प्रेरित किया, जिन्हें बाद में नारी शक्ति सम्मान और पद्मश्री प्रदान किया गया। इसी तरह डिडौरी और अनूपपुर जिले की काष्ठ कला ने भी अपने आयाम तय किए हैं।