
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय ने बीते दिनों गलत सिलेबस से बनाए गए लॉ ऑफ क्राइम विषय की परीक्षा स्थगित कर दी। इसे लेकर जांच खत्म नहीं हुई है। जबकि समयावधि पूरी हो गई है। सदस्यों ने जांच पूरी करने के लिए कुलगुरु डॉ. राकेश सिंघई से अतिरिक्त समय मांगा है।
समिति ने सात दिन में रिपोर्ट देने पर जोर दिया है। अभी तक जांच में यह सामने आया है कि लापरवाही गोपनीय-परीक्षा विभाग से लेकर पेपर सेटर और कॉलेज की रही है। उधर विश्वविद्यालय प्रशासन ने लॉ ऑफ क्राइम विषय का नया पेपर तैयार कर लिया है। उसमें पुराने सिलेबस यानी भारतीय नागरिक संहिता से जुड़े प्रश्न पूछे जाएंगे।
विश्वविद्यालय बुधवार को केंद्रों पर पेपर भिजवाएगा। नवंबर के पहले सप्ताह में एलएलबी, बीए एलएलबी, बीएससी एलएलबी, बीबीए एलएलबी, बीकाम एलएलबी का लॉ ऑफ क्राइम विषय का पेपर रखा गया। विद्यार्थियों ने आउट ऑफ सिलेबस से प्रश्न पूछे जाने की शिकायत की।
तत्काल मामले में जांच की गई तो 2025-26 सत्र के विद्यार्थियों के लिए लागू किए गए नए सिलेबस से पेपर बनाया गया। उसमें भारतीय नागरिक न्याय संहिता से प्रश्न पूछे गए। परीक्षा समिति के मुताबिक 2024-25 के विद्यार्थियों को लॉ ऑफ क्राइम में भारतीय नागरिक संहिता से जुड़े सवाल दिए जाने थे। पेपर सेट करने में गड़बड़ी मानते हुए विश्वविद्यालय ने पेपर स्थगित किया, जो 28 नवंबर को दोबारा रखा गया है।
समिति ने जांच में पाया कि सामूहिक स्तर पर पेपर बनाने में गड़बड़ी हुई है। पेपर तैयार करने से पहले शैक्षणिक विभाग से पुराने की बजाए नया सिलेबस भेज दिया। परीक्षा विभाग और गोपनीय विभाग ने भी इसे नहीं देखा। नियमानुसार 2025-26 सत्र में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों के लिए नया सिलेबस लागू किया गया था। दोनों विभागों की लापरवाही से सिलेबस पेपर बनाने वाले शिक्षकों तक पहुंचा। उन्होंने भी भारतीय नागरिक संहिता की बजाए भारतीय नागरिक न्याय संहिता के जुड़े प्रश्न तैयार कर दिए। जबकि इन्हें पुराने सिलेबस की मांग करनी थी।
पेपर बनने के बाद मुद्रणालय ने भी बिना विषय देखे प्रश्न पत्र प्रिंट कर दिए। पेपर के लिफाफों पर भी केंद्रों ने नजर नहीं डाली। उसमें साफतौर पर लॉ ऑफ क्राइम के साथ ही भारतीय नागरिक न्याय संहिता लिखा गया था। फिलहाल समिति ने सभी को कार्रवाई की दायरे में लेने का विचार किया है। परीक्षा नियंत्रक डॉ. अशेष तिवारी का कहना है कि जांच अभी पूरी नहीं हुई है। समिति ने समन्वयक की कमी बताई है, जिसमें सभी विभागों के कर्मचारी और अधिकारियों की लापरवाही का जिक्र है।