अतुल शुक्ला, जबलपुर। वेटरनरी विश्वविद्यालय जबलपुर की यूजी (बैचलर ऑफ वेटरनरी साइंस और फिशरी साइंस) सीटों में प्रवेश लेने के लिए में इस बार जम्मू-कश्मीर के विद्यार्थियों की संख्या में इजाफा हुआ है। ऐसा पहली बार है जब विश्वविद्यालय की यूजी सीट में जम्मू कश्मीर विस्थापित और सामान्य वर्ग के कोटे की 25 सीटों के लिए 35 से ज्यादा विद्यार्थियों ने आवेदन किया है।
जबकि अभी तक यह संख्या आधी नहीं पहुंचती थी। 2022-23 से इस कोटे में जम्मू-कश्मीर के बच्चों को प्रवेश देना शुरू किया गया हैा बीते तीन साल के आंकड़े बताते हैं कि अब वेटरनरी डॉक्टर बनने के लिए जम्मू-कश्मीर के बच्चे तेजी से वेटरनरी फील्ड में करियर चुन रहे हैं। विश्वविद्यालय में 2022-23 में सिर्फ दो बच्चों ने प्रवेश लिया था। 2023-24 में यह संख्या 14 पहुंची तो 2024-25 में 16 बच्चे ही प्रवेश लिए।
इधर जम्मू-कश्मीर में वेटरनरी कॉलेज से जुड़े प्रोफेसर बताते हैं कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद वेटरनरी क्षेत्र में करियर बनाने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है। पशुपालन, यहां का मुख्य व्यवसाय है, लेकिन कई नियम-कायदों की वजह से कम बच्चे ही प्रदेश के अन्य शहरों में जाकर वेटरनरी डॉक्टर की पढ़ाई करते थे, लेकिन अब इनकी संख्या में इजाफा हो रहा है। जम्मू-कश्मीर में न सिर्फ सरकारी बल्कि निजी क्षेत्र में भी वेटरनरी में नौकरियां युवाओं को मिल रही हैं।
मध्य प्रदेश समेत देशभर के वेटरनरी विश्वविद्यालयों की यूजी सीटों में पांच फीसदी आरक्षण, जम्मू-कश्मीर विस्थापितों और यहां रहने वाले लोगों को दिया गया है। मध्यप्रदेश के वेटरनरी विवि में ही जम्मू-कश्मीर के विस्थापित और उनके परिवार से जुड़े बच्चों के लिए इस कोटे में 17 सीटें हैं, जिसमें पांच जबलपुर, पांच महू और पांच रीवा वेटरनरी कालेज और शेष दो सीट फिशरी कालेज जबलपुर की हैं।
इस सीटों में प्रवेश लेने के लिए 18 विद्यार्थियों ने आनलाइन आवेदन किया है। वहीं जम्मू-कश्मीर और लद्दाक में रहने वाले विद्यार्थियों के लिए आठ सीट हैं, जिसमें 17 विद्यार्थियों ने काउंसलिंग में भाग लिया। इन बच्चों को 24 सितंबर को जबलपुर विवि आकर प्रवेश प्रक्रिया में भाग लेना होगा। इनके दस्तावेजों की जांच के बाद ही इन्हें मैरिट लिस्ट के आधार पर प्रवेश दिया जाएगा।
जम्मू वेटरनरी कालेज के एक प्रोफेसर बताते हैं कि जम्मू और कश्मीर, दोनों ही जगह पहाड़ों पर लोग बसे हैं, जिस वजह से यहां का मुख्य व्यवसाय पशुपालन भी है। यहां के लोग बकरी और भेड़ बड़ी संख्या में पालते हैं और इनके उपचार के लिए वेटरनरी (पशु चिकित्सा) की मांग बढ़ी है। इन्हें यहां वेतन भी अच्छा दिया जाता है। राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम में डेयरी किसानों को प्रशिक्षित करने, ग्राम स्तर पर सहकारी समितियों को मजबूत करने और दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए पशु आहार और अन्य तकनीकी में मदद दी जा रही है।
जम्मू वेटरनरी कालेज के ही एक बोर्ड मेम्बर बताते हैं कि इस राज्य में निजी क्षेत्र में भी वेटरनरी डाक्टरों की मांग बढ़ी है। इसके साथ ही वेटरनरी से यूजी करने के बाद जम्मू-कश्मीर के ज्यादातर बच्चे अन्य देशों में चले जाते हैं। पिछले कुछ सालों में ऐसा ज्यादा हुआ है।
आंकड़ों पर एक नजर
जम्मू-कश्मीर विस्थापित कोटा
वेटरनरी विश्वविद्यालय जबलपुर में जम्मू-कश्मीर के विस्थापितों के लिए 17 और जम्मू-कश्मीर-लद्दाख के विद्यार्थियों के लिए आठ सीटें हैं। इन सीटों में इस बार करीब 35 से ज्यादा विद्यार्थियों ने अप्लाई किया है। यह अच्छा संकेत है और आने वाले समय में विवि में कश्मीर के बच्चों की संख्या और बढ़े, इसके लिए हम हरसंभव कदम उठाएंगे। - प्रो.मनदीप शर्मा, कुलपति नानाजी देशमुख पशुचिकित्सा विज्ञान विवि जबलपुर