Bihar Election Result: SC वर्ग के बाद राजपूत प्रत्याशियों ने सबसे अधिक सीटें जीतीं, NDA में महागठबंधन की तुलना में ज्यादा यादव विधायक
बिहार विधानसभा चुनावों (Bihar Election Result 2025) में इस बार राजद(RJD) का मुस्लिम-यादव (MY) समीकरण पूरी तरह कमजोर पड़ गया। हालिया नतीजों में एनडीए(NDA) के यादव उम्मीदवारों ने महागठबंधन से अधिक सीटें जीतीं।
Publish Date: Sun, 16 Nov 2025 09:29:11 AM (IST)
Updated Date: Sun, 16 Nov 2025 09:40:52 AM (IST)
बिहार विधानसभा चुनावों में SC वर्ग के बाद राजपूत प्रत्याशियों ने सबसे अधिक सीटें जीतीं।HighLights
- राजद का ‘MY’ समीकरण पूरी तरह कमजोर पड़ गया।
- जदयू का लव–कुश वोट बैंक मजबूती से साथ खड़ा रहा।
- SC समुदाय का समर्थन NDA को मिला, यादव वोटों में बिखराव।
डिजिटल डेस्कः बिहार विधानसभा चुनावों (Bihar Election Result 2025) में इस बार राजद(RJD) का मुस्लिम-यादव (MY) समीकरण पूरी तरह कमजोर पड़ गया। हालिया नतीजों में एनडीए(NDA) के यादव उम्मीदवारों ने महागठबंधन से अधिक सीटें जीतीं।
सबसे ज्यादा सीटें SC वर्ग के उम्मीदवारों ने जीतीं
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे बता रहे हैं कि इस बार एनडीए में 31 राजपूत और 22 भूमिहार प्रत्याशी विजयी रहे। सबसे ज्यादा सीटें SC वर्ग के उम्मीदवारों ने जीतीं, जिसके बाद राजपूतों का स्थान रहा। इसके बाद कुर्मी और वैश्य उम्मीदवारों की बारी आती है।
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सटीक सोशल इंजीनियरिंग से एनडीए को बढ़त
जाति वार (Cast-wise) विश्लेषण से पता चलता है कि सटीक रणनीति, सोशल इंजीनियरिंग और योजनाओं को जनता तक पहुंचाकर एनडीए ने बड़ी जीत दर्ज की। जदयू का लव–कुश (कोइरी, कुर्मी, धानुक) वोट बैंक पूरी मजबूती से साथ खड़ा रहा। वैश्य, सवर्ण और कम जनसंख्या वाली कई जातियां भाजपा के नेतृत्व में एनडीए के पक्ष में एकजुट हो गईं।
यादव वोटों में बिखराव दिखा
SC समुदाय का समर्थन भी एनडीए को मिला और यादव वोटों में बिखराव दिखा। दूसरी ओर महागठबंधन का मुख्य वोट बैंक टूटता नजर आया। ‘माय’ (मुसलमान–यादव) समीकरण प्रभावित हुआ। सीमांचल में मुस्लिम वोट ओवैसी की ओर चले गए, जबकि कोसी क्षेत्र में एनडीए के यादव उम्मीदवार महागठबंधन के यादव उम्मीदवारों पर भारी पड़े।
कांग्रेस की ओबीसी और ईबीसी वोटरों को साधने की कोशिश नाकाम हुई
कांग्रेस की अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और अति-पिछड़ा वर्ग (EBC) वोटरों को साधने की कोशिश कारगर नहीं हुई। मल्लाह, बिंद, नोनिया, केवट जैसी जातियों को साधने वाली वीआईपी(VVIP) पार्टी भी अपने कोर वोटरों को मनाने में विफल रही। अति-पिछड़ा वर्ग लंबे समय से एनडीए, विशेषकर नीतीश कुमार के समर्थक रहे हैं और इस बार भी महागठबंधन इसमें सेंध नहीं लगा पाया।
राजद का ‘माय’ समीकरण इस बार बेअसर
इस चुनाव में एनडीए और महागठबंधन दोनों ने अपने पारंपरिक वोटरों के साथ अन्य समुदायों के मजबूत चेहरों को भी टिकट दिए। भाजपा ने अपने हिस्से से किसी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया, लेकिन एनडीए की ओर से कुल पाँच मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में थे। राजद ने सर्वाधिक दांव यादव और मुस्लिम उम्मीदवारों पर लगाया, लेकिन उसका ‘माय’ फॉर्मूला इस बार सफल नहीं हो सका।
जदयू ने ईबीसी उम्मीदवारों को सबसे अधिक टिकट दिए और उन्हें उसी अनुपात में सफलता भी मिली। पूर्व बिहार, कोसी और सीमांचल की 62 सीटों में से 11 पर एनडीए के कुशवाहा, कुर्मी और धानुक प्रत्याशी विजयी हुए।
एनडीए ने स्पष्ट कर दिया SC–ST समुदाय में उसकी पकड़ मजबूत
महागठबंधन ने कुशवाहा वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश में कई कुशवाहा नेताओं, जैसे पूर्व सांसद संतोष कुशवाहा, रेणु कुशवाहा, वैद्यनाथ मेहता और जितेंद्र सिंह को टिकट दिए, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। वहीं सुरक्षित सीटों में बड़ी संख्या में जीत हासिल कर एनडीए ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि एससी–एसटी समुदाय में उसकी पकड़ अधिक मजबूत है।