MP Election 2023: बैहर में 51 साल से दो परिवारों का वर्चस्व, दोनों दलों से पिता के बाद पुत्र संभाल रहे सत्ता
MP Election 2023: 1956 में मध्यप्रदेश के पुनर्गठन से पहले इस आदिवासी बाहुल्य व नक्सल प्रभावित क्षेत्र में 1951 में पहली बार विधानसभा चुनाव हुआ था।
By Hemant Kumar Upadhyay
Edited By: Hemant Kumar Upadhyay
Publish Date: Fri, 20 Oct 2023 05:07:29 PM (IST)
Updated Date: Fri, 20 Oct 2023 05:07:29 PM (IST)
संजय उइके, भगतसिंह नेतामHighLights
- बैहर में टिकट को लेकर न विरोध, न असंतोष
- स्व. सुधन्वा सिंह नेताम तीन बार विधायक रहे।
- गणपत सिंह उइके चार विधायक चुने गए
MP Election 2023: योगेश कुमार गौतम, बालाघाट। बालाघाट की छह विधानसभा सीटों में बैहर सीट ही एकमात्र आरक्षित (अनुसूचित जनजाति) सीट है, जहां बीते 51 सालों से भाजपा व कांग्रेस से सिर्फ दो परिवारों का ही वर्चस्व स्थापित है। वर्ष 1972 से 2018 तक 11
विधानसभा चुनावों में ‘नेताम’ और ‘उइके’ परिवार ने बैहर की सत्ता संभाली है । इतने सालों में क्षेत्र में दूसरे चेहरे न उभर पाए और न ही सत्ता पर काबिज हो पाए।
1951 में पहली बार विधानसभा चुनाव
1956 में मध्यप्रदेश के पुनर्गठन से पहले इस आदिवासी बाहुल्य व नक्सल प्रभावित क्षेत्र में 1951 में पहली बार विधानसभा चुनाव हुआ था, तब पहली बार कांग्रेस के नैनसिंह विधायक बने। इसके बाद 1967 तक अलग-अलग चुनावों में मुरलीधर असाटी, महिपाल सिंह मसराम और एम. सिंह विधायक निर्वाचित हुए, लेकिन 1972 से अब तक दोनों प्रमुख राजनीतिक दल (भाजपा व कांग्रेस) परिवारवाद की राह पर चलकर बारी-बारी से शासन कर रहे हैं।
सुधन्वा सिंह नेताम तीन बार विधायक रहे
सबसे पहले ‘नेताम’ परिवार से स्व. सुधन्वा सिंह नेताम तीन बार विधायक रहे। उनके बाद उनके पुत्र भगत सिंह नेताम ने दो बार विधायकी संभाली। इसी तरह ‘उइके’ परिवार से पहली बार स्व. गणपत सिंह उइके चार विधायक चुने गए और बाद में उनके पुत्र संजय उइके दो बार विधायक चुने गए।
असंतोष व विरोध से कोसों दूर
आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट को लेकर जारी असंतोष व विरोध से बैहर विधानसभा सीट कोसो दूर है। इस क्षेत्र के 2,31,207 मतदाता भी ये जानते हैं कि हर चुनाव की तरह बैहर से भाजपा से भगत सिंह नेताम और कांग्रेस से संजय उइके ही चुनावी मैदान में उतरेंगे। मतदाताओं व राजनीतिक पंडितों के पूर्वानुमान को सच साबित करते हुए दोनों दलों ने इस चुनाव में भी इन्हीं दो उम्मीदवारों को चुनावी रण में उतारा है। पिछले 51 साल से ‘नेताम’ और ‘उइके’ परिवार बारी-बारी से बैहर की कमान संभाले हुए है।
51 साल से कब, कौन रहा विधायक
| 1972 | सुधंवा सिंह नेताम |
| 1977 | सुधंवा सिंह नेताम |
| 1980 | गणपत सिंह उइके |
| 1985 | गणपत सिंह उइके |
| 1990 | सुधंवा सिंह नेताम |
| 1993 | गणपत सिंह उइके |
| 1998 | गणपत सिंह उइके |
| 2003 | भगत सिंह नेताम |
| 2008 | भगत सिंह नेताम |
| 2013 | संजय सिंह उइके |
| 2018 | संजय सिंह उइके |