इलेक्शन डेस्क, इंदौर। जब देश आजाद हुआ तब ग्वालियर का सिंधिया राजघराना देश की सबसे बड़ी रियासत थी। सिंधिया राजघराना देश की राजनीति में भी अग्रणी ही रहा और आज भी है। सिंधिया परिवार जीवाजी राव, राजमाता विजयाराजे से लेकर, माधवराव और अब ज्योतिरादित्य तक कई सदस्य केंद्र से लेकर राज्य तक उच्च पदों पर बैठे। रियासत की उतार-चढ़ाव भरी राजनैतिक सियासत में कहानी परिवार के उस सदस्य की जिसको अपने पहले ही चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा लेकिन इस हार ने राजनीति में उनके लिए नए दरवाजे खोल दिए। जिसके बाद 2 बार राजस्थान की कमान संभाली।
वंसुधरा राजे सिंधिया ग्वालियर के शासक जीवाजी राव सिंधिया और उनकी पत्नी राजमाता विजया राजे सिंधिया की चौथी संतान है। जिनकी राजनीतिक किस्मत लोकसभा चुनावों में हार से खुली। भाजपा के टिकट पर 1984 में वसुंधरा राजे ने मध्यप्रदेश के भिंड लोकसभा क्षेत्र से अपने जीवन का पहला चुनाव लड़ा लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी कृष्णा सिंह से उन्हें 88 हज़ार वोटों से हार का सामना करना पड़ा। उस वक्त पूरे देश में इंदिरा गांधी की हत्या की वजह से कांग्रेस के पक्ष मे सहानुभूति लहर चल रही थी पर किसको पता था ये हार वसुंधरा के लिए राजनीति के नए दरवाजे खोल देगा।
वसुंधरा की शादी 17 नवंबर 1972 को धौलपुर राजघराने के महाराजा हेमंत सिंह के साथ हुई थी और भिंड में हार से नाराज वंसुधरा ने राजनीतिक की जमीन तलाशने ग्वालियर छोड़कर अपने ससुराल धौलपुर कूच किया। तब तक सिंधिया राजघराना ग्वालियर रियासत क्षेत्र में ही सक्रिय था लेकिन वंसुधरा ने राजस्थान में भाजपा की राजनीति करना शुरू कर दिया। यहां वसुंधरा को खूब सफलता मिली वे 2003 तक 5 बार लोकसभा का चुनाव जीतीं और भाजपा का शीर्ष नेतृत्व बनीं।
वंसुधरा का चम्बल में हारना मानों वरदान बन गया और सन् 2003 में वे राजस्थान की मुख्यमंत्री बनीं। वसुंधरा ने अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस को पटखनी देकर सरकार बनाई। इसके बाद 2013 में वसुंधरा दोबारा अशोक गहलोत को शिकस्त देकर दोबारा सीएम बनीं। वसुंधरा अब भी राजस्थान में मुख्यमंत्री पद की प्रमुख दावेदार हैं।
मध्यप्रदेश की राजनीति में वर्तमान में वसुंधरा राजे के भतीजे (भाई माधव राव सिंधिया के बेटे) ज्योतिरादित्य सिंधिया प्रमुख रूप से सक्रिय हैं जो 2020 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। ज्योतिरादित्य वर्तमान में राज्यसभा सदस्य और केंद्रीय मंत्री हैं। ज्योतिरादित्य को एमपी का सीएम बनाए जाने की चर्चा कई बार चली लेकिन भाजपा नेतृत्व अभी पीएम मोदी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ रहा है। ज्योतिरादित्य की दूसरी बुआ यशोधरा राजे भी शिवपुरी से विधायक और प्रदेश सरकार में मंत्री हैं। यशोधरा ने स्वास्थ्य कारणों के चलते एमपी विधानसभा चुनाव लड़ने से मना कर दिया।
(Source: नईदुनिया नेटवर्क की पुरानी खबरों एवं मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार दीपक तिवारी की किताब राजनीतिनामा मध्यप्रदेश से साभार)