MP Election Special: आनलाइन डेस्क, इंदौर। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कांग्रेस नेता श्यामाचरण शुक्ल का कार्यकाल अलग-अलग कारणों से याद किया जाता है। श्यामाचरण शुक्ल को विकास के प्रति नया दृष्टिकोण रखने वाले नेता के रूप में भी जाना जाता है। मप्र विधानसभा चुनाव के मद्देनजर इस आलेख में हम आपको श्यामाचरण शुक्ल से जुड़े कुछ रोचक किस्से बता रहे हैं।
पिता रहे मध्य प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री
27 फरवरी 1925 को रायपुर में एक कान्यकुब्ज ब्राह्मण परिवार में जन्मे श्यामाचरण शुक्ल के पिता पंडित रविशंकर शुक्ल मध्य प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री रहे थे। उनके छोटे भाई विद्याचरण शुक्ल भी वरिष्ठ कांग्रेस नेता के साथ केंद्रीय मंत्री और 9 मर्तबता लोकसभा सदस्य रहे। श्यामाचरण शुक्ल के बेटे अमितेश शुक्ल छत्तीसगढ़ में विधायक रहे। पंडित रविशंकर शुक्ल का भरा पूरा परिवार था। उनके 6 बेटे और तीन बेटियां थीं।
पहली बार 1957 में विधायक बने
श्यामाचरण शुक्ल पहली बार 1957 में राजिम सीट से विधायक बने। इसी सीट से उन्हें 1962, 1967, 1972, 1990, 1993 और 1998 में विधायक बनने का गौरव मिला। इस बीच 1977 में राजिम सीट पर उन्हें पराजय मिली थी।
तीन बार बने मुख्यमंत्री
श्यामाचरण शुक्ल 1969-72, 1975-77 और 1989-90 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री में। उन्हें 1999 में महासमुंद से लोकसभा सदस्य बनने का गौरव भी मिला।
भोपाल में जलमार्ग बनाना चाहते थे
श्यामाचरण शुक्ल की योजना थी कि भोपाल में भदभदा से लेकर बाणगंगा होते हुए छोटे तालाब के आगे तक एक जलमार्ग बनाया जाए। उन्होंने इसके लिए सर्वे भी करवाया था। वे चाहते थे कि पूरा शहर इसी जलमार्ग के दोनों ओर बसा हो। वे अधिक समय तक अपने पद पर नहीं रह सके और यह योजना अधूरी रह गई। उनकी राय में भोपाल में बड़ा और छोटा तालाब प्रकृति की ऐसी देन थी जिनसे शहर की तस्वीर बदल सकती है।
सिंचाई परियोजनाओं के जनक
राजनीति के जानकार बताते हैं कि श्यामाचरण शुक्ल ने बांधों के माध्यम से मध्य प्रदेश के विकास का रोड मैप तैयार किया था। कहा जाता है कि मध्य प्रदेश की अधिकांश बड़ी सिंचाई परियोजनाएं उनके कार्यकाल में ही तैयार की गई थीं। तवा, बरगी, बारना और हलाली सिंचाई परियोजना उनके समय ही पूरी की गई।
मुख्यमंत्री की पत्नी को पीलिया, गंदा पानी और बुच का जवाब
एक बार मुख्यमंत्री श्यामाचरण शुक्ल की पत्नी को पीलिया हो गया। तब उन्होंने अपने आवास पर अधिकारी एमएन बुच को बुलाया। सीएम ने कहा कि उनकी पत्नी पद्मनी शुक्ल को भोपाल का गंदा पानी पीने से पीलिया हो गया है। शहर की जनता को शुद्ध पेयजल मिले इसके लिए प्रयास किए जाने चाहिये। बुच ने इस पर हामी तो भर दी, लेकिन यह भी कहा कि लगता नहीं है मुख्यमंत्री इसके लिए गंभीर हैं।
मुख्यमंत्री ने पूछा कारण तो मिला ये जवाब
मुख्यमंत्री शुक्ल ने पूछा ऐसा क्यों तो बुच का जवाब था कि जब 14 विभाग साथ हों तो कोई समस्या हल नहीं की जा सकती। दरअसल उस समय बुच के पास 16 विभागों की जिम्मेदारी थी। बस फिर क्या था। इस वाकये के बाद बुच को सभी दायित्वों से मुक्त कर भोपाल का नगर प्रशासक बना दिया गया।
पायलट से कहा- विमान को नीचे उड़ाएं
राजनीति के जानकार श्यामाचरण शुक्ल से जुड़ा एक किस्सा हमेशा याद करते हैं। बताया जाता है कि एक बार वे सरकारी हवाई जहाज से अंबिकापुर से लौट रहे थे। जब उनका विमान अमरकंटक के ऊपर से निकल रहा था तो उन्होंने पायलट को नीची उड़ान भरने का कहा। विमान के नीचे आने पर शुक्ल नर्मदा नदी के उद्गम के पास मैकल पर्वत श्रेणी के समीप हरियाली करीब-करीब समाप्त होते और बड़े विस्फोट होते देखा तो दंग रह गए।
विस्फोट से निकाल रहे थे खनिज
मुख्यमंत्री को जानकारी मिली कि विस्फोटों के माध्यम से एल्युमिनियम फैक्टरियों के लिए बाक्साइट निकाला जा रहा था। भोपाल पहुंचते ही उन्होंने इन कंपनियों से बाक्साइट खदानों की जमीन पर काटे जाने वाले पेड़ों की क्षतिपूर्ति उतने ही पेड़ों से करने की याद दिलाई। यहां तक कि कंपनियों के बाक्साइट खनन के लाइसेंस भी निरस्त कर दिए गए। इसके बाद यह मामला हाइकोर्ट गया और क्षतिपूर्ति पौधरोपण किया जाने लगा।
(Source: नईदुनिया नेटवर्क की पुरानी खबरों एवं मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार दीपक तिवारी की किताब राजनीतिनामा मध्यप्रदेश से साभार)