नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क। रजनीगंधा प्रेजेंट्स जागरण फिल्म फेस्टिवल (JFF) का 13वां संस्करण दिल्ली के सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम में रंगारंग अंदाज में शुरू हुआ। उद्घाटन समारोह में फिल्म प्रेमियों, छात्रों और परिवारों ने शुद्ध सिनेमाई अनुभव का आनंद लिया और कहानी कहने की कला का उत्सव मनाया। पहले दिन की शुरुआत खासतौर पर बच्चों के लिए आयोजित JFF लिटिल लाइट्स से हुई। इस प्रस्तुति ने न सिर्फ नन्हे दर्शकों को आकर्षित किया, बल्कि पूरे दिन के लिए संवाद और रचनात्मकता का माहौल भी तैयार किया।
फेस्टिवल का सबसे चर्चित सत्र रहा 'सिनेमा को परखने और उसे दिशा देने की कला', जिसमें जाने-माने फिल्मकार और विशेषज्ञ—गिरीश कासरवल्ली, खुशबू सुंदर, रवि के चंद्रन और उत्पल बोरपुजारी—ने अपने विचार साझा किए। पैनल चर्चा में इस बात पर जोर दिया गया कि भारतीय क्षेत्रीय सिनेमा कैसे अपनी जड़ों से जुड़ा हुआ है, जबकि मुख्यधारा की हिंदी फिल्में अक्सर वास्तविकता और सांस्कृतिक पहचान से कटकर दर्शकों से दूरी बना लेती हैं।
इस महोत्सव में नेटफ्लिक्स की फिल्म इंस्पेक्टर जेंडे का वर्ल्ड प्रीमियर और उद्घाटन भी हुआ, जिसके बाद मनोज बाजपेयी, जिम सर्भ, निर्देशक चिन्मय डी. मंडलेकर, रुचिका कपूर शेख (मूल फिल्म्स, नेटफ्लिक्स इंडिया की निदेशक) और स्वयं इंस्पेक्टर जेंडे के साथ बातचीत हुई।
अपने किरदार के बारे में बात करते हुए, मनोज बाजपेयी ने कहा, "मैं जिस किरदार को निभा रहा हूं वह विशेष रूप से कुशल नहीं है, फिर भी वह एक अंतरराष्ट्रीय अपराधी को पकड़ने की कोशिश करता है जो एक ब्लैक-बेल्ट फाइटर है और बेहद चतुर है। यही विरोधाभास इस फिल्म को खास बनाता है।"
उन्होंने भारत में रंगमंच प्रशिक्षण के महत्व पर जोर देते हुए कहा, "मैंने अक्सर राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) में पढ़ाया है। मेरा मानना है कि पूरे भारत में एनएसडी जैसे पांच या छह और सरकारी संस्थान होने चाहिए। ये मध्यम वर्ग के छात्रों के लिए एक वरदान साबित होंगे, जो महत्वाकांक्षी रंगमंच कलाकारों में सबसे ज्यादा हैं।"
उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री, अश्विनी वैष्णव ने जेएफएफ की सराहना करते हुए इसे महत्वाकांक्षी फिल्म निर्माताओं और दर्शकों, खासकर छोटे शहरों के दर्शकों के लिए सबसे प्रभावशाली मंचों में से एक बताया। उन्होंने फिल्म उद्योग के लिए नई पहलों की भी घोषणा की, जिनमें एनएफडीसी का पुनर्गठन और सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम के नवीनीकरण की योजना शामिल है। उन्होंने आगे बताया कि इस महोत्सव के दौरान 650 से अधिक फिल्में प्रदर्शित की जाएंगी और बताया कि कैसे अंतर्राष्ट्रीय सिनेमा विशेषकर जापानी फिल्मों ने भारतीय दर्शकों के साथ गहरी प्रतिध्वनि पाई है।
संवाद में आगे बढ़ते हुए, जेईटीआरओ (जापान एक्सटर्नल ट्रेड ऑर्गनाइजेशन) के महानिदेशक, ताकाशी सुजुकी ने कहा, "जागरण फिल्म महोत्सव वास्तव में सिनेमा में समावेशिता का प्रतीक है। जापानी फिल्मों और संगीत ने भारत में एक विशेष स्थान बनाया है। यहां के बच्चे डोरेमोन और शिनचैन देखते हुए बड़े होते हैं, जो हमारे देशों के बीच सांस्कृतिक बंधन को दर्शाता है।"
जागरण प्रकाशन लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष, बसंत राठौर ने महोत्सव के दृष्टिकोण को साझा करते हुए कहा, “जेएफएफ का उद्देश्य दुनिया भर के दर्शकों के सामने सिनेमा के बेहतरीन दृष्टिकोण को प्रस्तुत करना है। जब लोग प्रभावशाली कहानियों का अनुभव करते हैं, तो यह उन पर गहरा प्रभाव डालती है और उनके दृष्टिकोण को भी आकार देती है।”
उद्घाटन सत्र में कई गणमान्य व्यक्तियों और फिल्मी हस्तियों ने भाग लिया, जिनमें मनोज बाजपेयी, आर. बाल्की, खुशबू सुंदर, राजेश कुमार (निदेशक, डीएस ग्रुप), रुचिका कपूर शेख (नेटफ्लिक्स इंडिया), और संजय गुप्ता, निदेशक एवं प्रधान संपादक, जागरण प्रकाशन लिमिटेड) शामिल थे, जिनका दृष्टिकोण महोत्सव के विकास का मार्गदर्शन करता रहेगा।
इस प्रभावशाली शुरुआत के साथ, रजनीगंधा प्रेजेंट्स जागरण फिल्म फेस्टिवल 2025 ने एक बार फिर एक ऐसे महोत्सव के रूप में अपनी भूमिका की पुष्टि की जो न केवल फिल्में प्रदर्शित करता है, बल्कि संवाद को भी बढ़ावा देता है, प्रतिभाओं को पोषित करता है, और सिनेमा की शक्ति के माध्यम से सांस्कृतिक सेतु का निर्माण करता है।
एक फेस्टिवल से कहीं बढ़कर, जेएफएफ एक ऐसा सफर है जो सिनेमा को लोगों तक पहुंचाता है। स्क्रीनिंग, कार्यशालाओं और शहरों में बातचीत के जरिए, यह ऐसे माहौल बनाता है जहां दर्शकों को ऐसी कहानियां मिलती हैं जो क्रेडिट रोल होने के बाद भी लंबे समय तक उनके साथ रहती हैं।