
एंटरटेनमेंट डेस्क। 70 और 80 के दशक में हिंदी सिनेमा का दौर बदल रहा था। हालांकि, उस समय फिल्मों को हिट कराने के लिए कुछ तयशुदा फॉर्मूले ही अपनाए जाते थे। इन्हीं में से एक तरीका था। ऐसा सीन डालना जो दर्शकों को झकझोर दे और फिल्म में मसाले का तड़का भी लगा दे।
उस दौर में फिल्मों में दुष्कर्म या जबरदस्ती वाले सीन्स की मांग लगभग हर फिल्म में रहती थी। लेकिन कई बार ये सीन्स कलाकारों के लिए परेशानी का कारण बन जाते थे। कुछ ऐसा ही हुआ अभिनेत्री फर्याल के साथ, जिन्होंने 60 और 70 के दशक में कई फिल्मों में काम किया, लेकिन उनकी छवि एक मुख्य अभिनेत्री के बजाय नेगेटिव किरदारों तक सीमित रह गई।
फिल्म के सेट पर हुआ था हंगामा
कहानी है 1969 की फिल्म 'द गोल्ड मैडल' की, जिसमें धर्मेंद्र, जीतेंद्र, शत्रुघ्न सिन्हा, राखी गुलजार और प्रेमनाथ जैसे कलाकार थे। फिल्म का निर्देशन रविकांत नागाइच कर रहे थे। शूटिंग के दौरान डायरेक्टर ने फैसला लिया कि एक सीन जोड़ा जाए जिसमें थोड़ा मसाला और ड्रामा हो।
इस सीन में प्रेमनाथ को अभिनेत्री फर्याल के साथ जबरदस्ती करनी थी और दोनों को सोफे पर लेटकर एक्ट करना था। सबकुछ तय था कैमरा, लाइट, एक्शन!, लेकिन जैसे ही सीन शुरू हुआ, स्थिति बदल गई। शूट के दौरान प्रेमनाथ सोफे से फिसलते हुए जमीन पर आ गए और सीन के बीच फर्याल असहज हो गईं।
फर्याल को समझ में आया कि स्क्रिप्ट में ऐसा कोई सीक्वेंस नहीं था। लेकिन सीन चलता रहा और प्रेमनाथ अपने किरदार में इतने डूब गए कि हकीकत और अभिनय की सीमा मिट गई।
'कट' बोलती रहीं फर्याल, पर सन्न रह गया सेट
फर्याल बार-बार 'कट' बोलती रहीं, लेकिन शूटिंग रुकी नहीं। जब स्थिति असहनीय हो गई, तब उन्होंने जोर से चिल्लाया कि "अरे कोई कट बोलेगा या नहीं!। सबसे हैरानी की बात यह थी कि डायरेक्टर रविकांत नागाइच और अभिनेता जीतेंद्र उस वक्त हंस रहे थे। यह देखकर फर्याल आगबबूला हो गईं और गुस्से में खड़े होकर बोलीं कि शूटिंग तुरंत रोकी जाए।
इस घटना के बाद सेट पर सन्नाटा पसर गया और फर्याल ने खुलकर विरोध जताया। यह वाकया बाद में फिल्म इंडस्ट्री में लंबे समय तक चर्चा का विषय बना रहा।