
लाइफस्टाइल डेस्क। बिहार का जिक्र आते ही सबसे पहले लिट्टी-चोखा का स्वाद ज़हन में दौड़ जाता है। यह सच है कि यह व्यंजन बिहार की पहचान है, लेकिन सूबे का खानपान इससे कहीं ज्यादा गहराई और विविधता रखता है।
दरअसल, बिहार के पास ऐसे 7 पारंपरिक फूड्स हैं, जिन्हें उनकी खास मौलिकता और भौगोलिक पहचान के चलते GI टैग मिला है। इनका स्वाद अद्भुत होने के साथ-साथ यह राज्य की संस्कृति, मिट्टी और इतिहास को भी बखूबी दर्शाते हैं। आइए, इन्हें थोड़ा करीब से जानते हैं.
भागलपुरी जर्दालू आम
भागलपुर का मशहूर जर्दालू आम अपनी तीखी खुशबू, पतले छिलके और संतुलित मिठास के लिए दुनिया भर में पसंद किया जाता है। 'जर्दालू' नाम इसलिए पड़ा क्योंकि यह जल्दी पीला हो जाता है। हर साल बिहार सरकार इसे खास मेहमानों को उपहार में भेजती है, जिससे इसकी शाही पहचान और मजबूत होती है।
कतरनी चावल
भागलपुर और बांका की धरती पर उगने वाला कतरनी चावल अपनी अनूठी सुगंध के लिए जाना जाता है। पकने पर इसकी महक पूरे घर को भर देती है। छोटा, हल्का मुड़ा हुआ दाना इसकी सबसे बड़ी पहचान है। कभी यह खास मौके पर ही पकता था. आज भी स्वाद में इसका कोई जवाब नहीं।
सिलाव का खाजा
सिलाव का खाजा परतदार मिठाई का बेहतरीन उदाहरण है। आटे की कई पतली परतें, तलने की पुरानी तकनीक और चाशनी का मेल यह मिठाई मुंह में जाते ही घुल जाती है। सदियों पुरानी कला का स्वाद इसमें साफ झलकता है।
मगही पान
नवादा, गया और औरंगाबाद में उगने वाला मगही पान अपने मुलायम पत्तों और हल्की मीठी खुशबू के लिए खास पहचान रखता है। इसमें तेज़पन नहीं होता, इसलिए इसे चबाने पर एक कोमल-सी मिठास महसूस होती है। बिहार की सांस्कृतिक परंपराओं में इसका स्थान हमेशा खास रहा है।
मिथिला मखाना
मिथिला का मखाना देश ही नहीं दुनिया भर में मशहूर है। पानी में उगने वाला यह हल्का, कुरकुरा ड्राई फ्रूट प्रोटीन, कैल्शियम और फाइबर से भरपूर होता है। व्रत से लेकर रोजमर्रा की डाइट. हर जगह इसका इस्तेमाल बढ़ रहा है।
शाही लीची
मुजफ्फरपुर की शाही लीची अपने रसीले गूदे, कम बीज और शानदार मिठास की वजह से ‘फलों की रानी’ कहलाती है। गर्मियों में इसकी डिमांड इतनी बढ़ जाती है कि देश-विदेश से ऑर्डर आने लगते हैं। यह बिहार के सबसे लोकप्रिय GI टैग प्रोडक्ट्स में से एक है।
मर्चा चावल
पश्चिम चंपारण का मर्चा चावल देखने में काली मिर्च जैसा लगता है, इसलिए इसका नाम ऐसा रखा गया। इसकी खुशबू तेज और स्वाद बेहद उम्दा होता है। इससे बनने वाला चूड़ा (पोहा) कुरकुरा और लाजवाब माना जाता है। यह एक कम मिलने वाली किस्म है, जिसे अब GI टैग ने नई पहचान दी है।