नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। कभी बुढ़ापे में होने वाला रोग कहलाने वाला गठिया अब छोटे बच्चों को भी जकड़ रहा है। बीते कुछ सालों में बच्चों में गठिया रोग के मामलों में अप्रत्याशित रूप से आई तेजी ने स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा दी है। बच्चों में गठिया के लक्षण पहचानना मुश्किल होता है।
जब तक इसकी जानकारी मिलती है तब तक देर हो जाती है। देश में एक लाख में से 14 बच्चे गठिया रोग से पीड़ित हैं। यदि किसी बच्चे को छह हफ्तों तक लगातार बुखार बना रहे और उपचार के दौरान एंटीबायोटिक दवा का भी असर नहीं हो तो यह गठिया रोग का संकेत हो सकता है। एक लाख में 14 बच्चों में गठिया रोग मिल रहा है।
इंदौर में शुक्रवार से शुरू हुई नेशनल कांफ्रेंस ऑफ पीडियाट्रिक रूमेटोलाजी (एनसीपीआर) 2025 में शामिल विशेषज्ञों के बीच इसी विषय पर गहन मंथन हो रहा है। बच्चों में बढ़ रही बीमारी से सतर्क विशेषज्ञों की इस विषय पर देश की 23वीं और इंदौर की पहली राष्ट्रीय कांफ्रेंस है। विशेषज्ञ यह भी मान रहे हैं कि बच्चों के माता-पिता के साथ ही कई डाक्टर भी इस रोग के लक्षणों को शुरुआती दौर में पहचान नहीं पाते हैं, जबकि सामान्य ब्लड टेस्ट से पता लगाया जा सकता है कि बच्चे को गठिया है या नहीं।
कांफ्रेंस में शामिल देशभर के 250 डाक्टर जिनमें 125 से अधिक पीडियाट्रिक रूमेटोलाजिस्ट हैं के बीच इस विषय पर भी विमर्श हुआ कि आमजन और डाक्टरों को बच्चों के लिए बढ़ते इस खतरे को लेकर जागरूक किया जाए। इलाज की नई पद्धतियों और तकनीकों की जानकारी ज्यादा से ज्यादा चिकित्सकों तक पहुंचाई जाए। कांफ्रेंस में सिंगापुर, यूके और टर्की के विशेषज्ञ भी शनिवार को शामिल होंगे जो इस विषय पर चर्चा करेंगे।
अनुवांशिकता के अलावा गर्भावस्था के दौरान मां को गठिया होने पर जन्म लेने वाले शिशु में भी गठिया के लक्षण मिल रहे हैं। कई बार बच्चे की तबीयत बिगड़ने पर सही जानकारी के अभाव में इलाज के लिए माता-पिता डाक्टर बदल देते हैं। वे पीडियाट्रिक रूमेटोलाजिस्ट तक पहुंच ही नहीं पाते। वहीं अन्य चिकित्सक बच्चों में गठिया होने को लेकर जागरूक नहीं हैं। गठिया का समय पर पता लगाकर उपचार करवाना आवश्यक है। इससे ब्रेन, किडनी और लंग्स को भी नुकसान पहुंचा सकता है। जरूरी नहीं है कि किसी बच्चे को यदि एक बार बीमारी हो जाए तो जीवनभर रहे। आवश्यक यह है कि समय पर रोग की पहचान कर उसका इलाज शुरू कर दिया जाए। - डॉ. दीप्ति सूरी, पीडियाट्रिक रूमेटोलाजिस्ट, पीजीआई चंडीगढ़
गठिया रोग नवजात से लेकर किसी भी आयु तक हो सकता है। हमारे पास 16 वर्ष तक के बच्चे उपचार के लिए आते हैं। यदि समय पर बीमारी पकड़ में आ जाए तो अच्छी दवाइयां हैं, जिससे मरीजों को लाभ मिल रहा है। बच्चों में गठिया के कई लक्षण आम वायरल या बैक्टीरियल इंफेक्शन से मिलते-जुलते होते हैं। इस कारण समय पर पता नहीं चल पाता है। गठिया एक आटोइम्यून बीमारी है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली खुद ही अपने ही स्वस्थ टिशूज पर हमला करने लगती है। पहले इस बीमारी को पहचानना मुश्किल होता था, लेकिन अब हमारे देश में जांच और इलाज दोनों की अच्छी सुविधा है। - डॉ. ज्योति संघवी, पीडियाट्रिक रूमेटोलाजिस्ट, इंदौर