डिजिटल डेस्क: आपने अक्सर सुना होगा– “खड़े होकर पानी मत पियो, घुटने खराब हो जाएंगे।” बचपन में हम इसे बड़ों की डांट समझकर नजरअंदाज कर देते थे, लेकिन क्या इसमें कोई वैज्ञानिक सच्चाई है? आइए जानते हैं कि यह मान्यता कैसे बनी और विशेषज्ञ इसके बारे में क्या कहते हैं।
भारत में खान-पान और जीवनशैली से जुड़ी कई मान्यताएं पीढ़ियों से चली आ रही हैं। इनमें से एक आम धारणा है कि खड़े होकर पानी पीना घुटनों के लिए हानिकारक है। बुजुर्ग हमेशा सलाह देते हैं कि पानी बैठकर पीना चाहिए। लेकिन जब इस विषय पर वैज्ञानिक नजरिए से बात की जाती है तो असलियत बिल्कुल अलग सामने आती है।
हेल्थ एक्सपर्ट लीमा महाजन बताती हैं कि पानी चाहे बैठकर पिया जाए या खड़े होकर, सबसे पहले पेट में जाता है। वहां से यह छोटी आंत के जरिए रक्त में अवशोषित हो जाता है। पूरी प्रक्रिया 5 से 10 मिनट में पूरी हो जाती है और पानी पूरे शरीर की कोशिकाओं तक पहुंचकर हाइड्रेशन बनाए रखता है।
इसलिए यह सोचना गलत है कि पानी सीधे घुटनों में जाकर नुकसान पहुंचाता है।
हमारे घुटनों और अन्य जोड़ों में सिनोवियल फ्लूइड मौजूद होता है। यह तरल घर्षण कम करके जोड़ों को आसानी से हिलने-डुलने में मदद करता है। जब शरीर पर्याप्त पानी से हाइड्रेटेड रहता है, तो यह फ्लूइड संतुलित बना रहता है और घुटनों को मजबूती मिलती है। डॉक्टर भी जोड़ों के दर्द से पीड़ित लोगों को पर्याप्त पानी पीने की सलाह देते हैं। यानी पानी घुटनों का दुश्मन नहीं, बल्कि दोस्त है।
दरअसल, पुराने समय में लोग जमीन पर बैठकर ही भोजन और पानी ग्रहण करते थे। बैठकर पानी पीना सामान्य जीवनशैली का हिस्सा था। धीरे-धीरे इसे स्वास्थ्य से जोड़ दिया गया और मान लिया गया कि खड़े होकर पानी पीना हानिकारक है। साथ ही, उम्र बढ़ने के साथ घुटनों में दर्द आम समस्या है। लोग इसे गलत आदतों से जोड़ने लगे और मान्यता और मजबूत हो गई।
वैज्ञानिक रूप से खड़े होकर पानी पीने से घुटनों पर कोई असर नहीं होता। लेकिन पाचन की दृष्टि से बैठकर, धीरे-धीरे पानी पीना अधिक फायदेमंद है। बैठने से शरीर आराम की स्थिति में रहता है, जिससे पाचन तंत्र पर दबाव कम होता है। वहीं, खड़े होकर या जल्दी-जल्दी पानी पीने से गैस, अपच और असुविधा हो सकती है। इसलिए बैठकर, छोटे-छोटे घूंट में पानी पीना ही सही तरीका है।
आज तक कोई भी वैज्ञानिक शोध यह साबित नहीं कर पाया है कि खड़े होकर पानी पीने से हड्डियों या घुटनों पर बुरा असर होता है। हां, पानी पीने की गति और तरीका शरीर की ऊर्जा और पाचन पर असर डाल सकता है। धीरे-धीरे पानी पीना हमेशा बेहतर माना गया है।
पानी शरीर के लिए अमृत समान है। यह शरीर का तापमान नियंत्रित करता है, खून को साफ करता है और अंगों को सही तरह से काम करने में मदद करता है। खासकर जो लोग गठिया या जोड़ों के दर्द से जूझ रहे हैं, उनके लिए पर्याप्त पानी पीना बेहद जरूरी है। पानी की कमी से दर्द और सूजन बढ़ सकती है, जबकि पर्याप्त पानी राहत पहुंचाता है।