हेल्थ डेस्क, इंदौर: समोसे हों, कचौड़ी हो या फिर बैढ़ई, शहर के लोग ऐसी तेलीय चीजों को खाने में सबसे आगे हैं। कहीं भी नाश्ते के होटल से लेकर ठेले पर लोगों की भीड़ नजर आएगी। यही नहीं सब्जी से लेकर अन्य चीजों में भी शहर के लोग अधिक तेल खाना पसंद करते हैं।
जबकि मोटापा और हृदय संबंधी बीमारियों को रोकने के लिए केंद्र सरकार लगातार तेल की खपत 10 प्रतिशत तक कम करने की मुहिम चला रही है।लेकिन देशभर में लोग अभी भी जरूरत से कहीं अधिक तेल का सेवन कर रहे हैं।विशेषज्ञों के अनुसार, जितना तेल एक सामान्य व्यक्ति को प्रतिदिन लेना चाहिए, लोग उससे तीन से चार गुना अधिक का सेवन कर रहे हैं। इससे न केवल वजन बढ़ रहा है बल्कि शरीर में वसा का जमाव भी तेजी से हो रहा है।
जेएच के फिजीशियन डॉ. हरिनारायण शर्मा बताते हैं कि एक स्वस्थ व्यक्ति को प्रतिदिन 20 से 30 मिली तेल का सेवन करना चाहिए, जबकि लोग औसतन 150 से 200 मिली तेल खा रहे हैं। वहीं जो मांसाहार के शौकीन हैं, उनका तेल का सेवन 300 मिली तक पहुंच जाता है। यह अत्यधिक खपत मोटापे के साथ-साथ शरीर के विभिन्न अंगों में फैट जमा होने का कारण बन रही है।
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उन्होंने बताया कि बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआइ) 25 से अधिक होना मोटापे का संकेत है और इस स्थिति में हृदय रोग, डायबिटीज व ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों का खतरा तेजी से बढ़ जाता है। मरीजों के खानपान में तेल की मात्रा ज्यादा होने से लिवर फैटी हो रहा है। लिवर में वसा का जमाव बढ़ने से न केवल पाचन गड़बड़ होता है बल्कि लिवर सिरोसिस जैसी गंभीर स्थिति तक पहुंचने का खतरा रहता है।
विशेषज्ञ बताते हैं कि मोटापे के साथ हाइपरटेंशन, डायबिटीज, महिलाओं में पीसीओडी और बांझपन जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। वहीं पुरुषों में नपुंसकता और हार्मोनल असंतुलन देखने को मिल रहा है। मोटापा आंतों में अल्सर और कोलन कैंसर के खतरे को भी कई गुना बढ़ा देता है। इसके अलावा आब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया, आस्टियो आर्थराइटिस और हृदय रोग भी मोटापे के बड़े खतरे माने जा रहे हैं।