डिजिटल डेस्क: भारत विविधताओं से भरा हुआ देश है। यहां अनेक धर्म, संस्कृतियां और भाषाएं पाई जाती हैं, जो हमारी एकता को और भी मजबूत बनाती हैं। इन्हीं भाषाओं में से हिंदी वह भाषा है, जो पूरे देश को एक सूत्र में पिरोती है। हिंदी हमारी मातृभाषा ही नहीं बल्कि हमारी संस्कृति, सभ्यता और परंपरा की आत्मा है।
हर साल 14 सितंबर को हम हिंदी दिवस (Hindi Diwas Speech) मनाते हैं। यह दिन खास है क्योंकि 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने हिंदी को भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया था। तभी से यह दिन पूरे देश में हिंदी के सम्मान और प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित है।
हिंदी दिवस का मुख्य उद्देश्य केवल हिंदी का उत्सव मनाना नहीं, बल्कि उसके महत्व को समझना और आने वाली पीढ़ियों को उससे जोड़ना है। आज के समय में अंग्रेजी का प्रभाव भले ही अधिक हो गया हो, लेकिन हिंदी की लोकप्रियता और महत्ता कम नहीं हुई है। यह भाषा करोड़ों भारतीयों की मातृभाषा है और विदेशों में भी इसकी पहचान लगातार बढ़ रही है।
हिंदी भाषा अपनी सरलता, सहजता और मधुरता के कारण लोगों को जोड़ने का कार्य करती है। यह भाईचारे और एकता का संदेश देती है। हिंदी साहित्य में तुलसीदास, सूरदास, कबीर, प्रेमचंद जैसे महान कवियों और लेखकों ने अमूल्य योगदान दिया है, जिन्होंने इस भाषा को और भी समृद्ध बनाया।
आज हिंदी केवल भारत तक सीमित नहीं है। अमेरिका, इंग्लैंड, मॉरीशस, नेपाल और फिजी जैसे देशों में हिंदी बोली और पढ़ाई जाती है। दुनिया के कई विश्वविद्यालयों में हिंदी को एक विषय के रूप में पढ़ाया जाता है। यह हमारी भाषा की वैश्विक ताकत को दर्शाता है।
विदेशों में बसे भारतीय समुदाय हिंदी को अपनी पहचान और संस्कृति से जुड़े रहने का माध्यम मानते हैं। यही कारण है कि हिंदी दिवस का महत्व केवल भारत तक सीमित नहीं, बल्कि विश्व स्तर पर भी देखा जाता है।
हिंदी दिवस का एक प्रमुख उद्देश्य छात्रों और युवाओं में भाषा के प्रति गर्व और जिम्मेदारी की भावना जागृत करना है। अंग्रेजी सीखना और उसका प्रयोग करना आवश्यक है, लेकिन अपनी मातृभाषा को भूलना सही नहीं। विद्यार्थियों का कर्तव्य है कि वे हिंदी का प्रयोग करें, उसके प्रचार-प्रसार में योगदान दें और इसे सम्मानपूर्वक अपनाएँ।
आज के समय में जब तकनीक और सोशल मीडिया का दौर है, तब भी हमें हिंदी का प्रयोग करना चाहिए। मोबाइल संदेश, ईमेल, सोशल मीडिया पोस्ट आदि में हिंदी का प्रयोग हमारी भाषा को मजबूत और जीवित बनाए रखेगा।
हिंदी दिवस के अवसर पर पूरे देश के स्कूल, कॉलेज और संस्थानों में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इसमें भाषण प्रतियोगिता, निबंध लेखन, कवि सम्मेलन और सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ शामिल होती हैं। इन आयोजनों का उद्देश्य छात्रों और युवाओं में हिंदी के प्रति प्रेम और गर्व की भावना जगाना है।
हिंदी दिवस हमें यह सिखाता है कि हमें अपनी भाषा का सम्मान करना चाहिए और इसका प्रयोग अधिक से अधिक करना चाहिए। हमें यह याद रखना चाहिए कि जो राष्ट्र अपनी मातृभाषा का सम्मान नहीं करता, वह अपनी पहचान खो देता है।
आज के समय में हमें अंग्रेजी और अन्य भाषाओं का ज्ञान तो अवश्य होना चाहिए, लेकिन हिंदी को कभी कमतर नहीं आंकना चाहिए। हिंदी हमारी धरोहर है और इसे संरक्षित करना हमारी जिम्मेदारी है।
आदरणीय प्रधानाचार्य, शिक्षकगण और प्रिय साथियों, आज हम सब हिंदी दिवस के अवसर पर यहाँ एकत्रित हुए हैं। यह दिन हमारे लिए विशेष महत्व रखता है क्योंकि 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने हिंदी को भारत की राजभाषा घोषित किया था। उसी समय से हर साल यह दिन हिंदी भाषा के गौरव और सम्मान के लिए मनाया जाता है।
हिंदी हमारी मातृभाषा ही नहीं बल्कि हमारी संस्कृति, परंपरा और सभ्यता की आत्मा है। यह भाषा सरल, सहज और मधुर है, जो हमें हमारी जड़ों से जोड़ती है। हिंदी साहित्य में तुलसीदास, सूरदास, कबीर, प्रेमचंद जैसे महान लेखकों और कवियों ने अमूल्य योगदान दिया है। उनके साहित्य ने हिंदी को और भी समृद्ध बनाया है।
आज के समय में हिंदी न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी लोकप्रिय हो रही है। अमेरिका, इंग्लैंड, मॉरीशस, नेपाल और फिजी जैसे देशों में हिंदी बोली और पढ़ाई जाती है। यह हमारी भाषा की शक्ति और वैश्विक महत्व को दर्शाता है।
हालांकि, हमें यह भी मानना होगा कि अंग्रेजी के बढ़ते प्रभाव के कारण हिंदी का प्रयोग कहीं-कहीं कम हो गया है। विद्यार्थियों के रूप में हमें यह संकल्प लेना होगा कि हम अपनी भाषा का प्रयोग अधिक से अधिक करेंगे। हमें यह याद रखना चाहिए कि जो राष्ट्र अपनी भाषा को भूल जाता है, वह अपनी पहचान भी खो देता है।
हिंदी हमारी धरोहर है और हमें इस पर गर्व होना चाहिए। इस हिंदी दिवस पर आइए हम सब यह प्रतिज्ञा लें कि हम हिंदी का सम्मान करेंगे, इसे आगे बढ़ाएंगे और आने वाली पीढ़ियों तक इसकी महत्ता पहुंचाएंगे। हिंदी हमारी पहचान है और इसका सम्मान करना हम सबका कर्तव्य है।
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