
लाइफस्टाइल डेस्क। क्या आपने कभी सोचा है कि छुट्टियों की पार्टी में एक ग्लास वाइन या बीयर क्यों इतनी मजेदार लगती है? जवाब हमारी आधुनिक जीवनशैली में नहीं, बल्कि लाखों साल पुराने हमारे प्राइमेट पूर्वजों में छिपा है। जी हां, लोगों को शराब क्यों इतनी पसंद आती है, इसका कनेक्शन हमारे प्राइमेट पूर्वजों से जुड़ा हो सकता है।
लगभग 5 करोड़ साल पहले, जब इंसान का अस्तित्व भी नहीं था, हमारे प्राइमेट पूर्वज जंगलों में पके हुए फलों की तलाश करते थे। ये फल अक्सर जमीन पर गिरकर खुद-ब-खुद फर्मेंट (किण्वित) हो जाते थे और उनमें हल्की मात्रा में इथेनॉल (अल्कोहल) बन जाती थी। जिन प्राइमेट्स में इस अल्कोहल की गंध पहचानने की क्षमता थी, उन्हें फायदा मिलता था, क्योंकि ऐसे फलों में ज्यादा शुगर और ज्यादा कैलोरी होती थीं - यानी ये फल एनर्जी का शानदार सोर्स थे।
साइंटिस्ट्स के मुताबिक, सभी प्राइमेट्स अल्कोहल को मेटाबोलाइज़ कर सकते हैं, लेकिन करीब 1 करोड़ साल पहले अफ्रीकी एप्स (जिनसे बाद में इंसान, गोरिल्ला और चिम्पैंजी विकसित हुए) में एक खास एंजाइम म्युटेशन हुआ। इस म्युटेशन की वजह से ये एप्स बाकी प्राइमेट्स की तुलना में 40 गुना बेहतर तरीके से अल्कोहल को पचा पाते थे। यही वह इवॉल्यूशनरी एडवांस्मेंट थी, जिसने अल्कोहल वाली चीज़ों को हमारे लिए और भी फायदेमंद बना दिया।
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफ़ोर्निया, बर्कली के वैज्ञानिक रॉबर्ट डडली ने 'Drunken Monkey Hypothesis' दिया। इस सिद्धांत के अनुसार, हमारी अल्कोहल पसंद असल में एक तरह की इवॉल्यूशनरी विरासत है।
वैज्ञानिकों ने चिम्पैंजियों का व्यवहार देखकर पाया कि वे भी अक्सर पके हुए, हल्के फर्मेंट हुए फलों को ज्यादा पसंद करते हैं। चिम्पैंजी इन हल्के नशे वाले फलों को आपस में शेयर भी करते हैं, जिससे उनके सामाजिक रिश्ते मजबूत होते हैं - ठीक वैसे ही जैसे हम पार्टी में ड्रिंक्स शेयर करते हैं।
करीब 10,000 साल पहले, कृषि की शुरुआत के साथ इंसानों ने खुद शराब बनाना शुरू किया। कुछ वैज्ञानिक तो यह तक कहते हैं कि हमने पहली बार अनाज की खेती रोटी के लिए नहीं, बीयर के लिए की थी। आज शराब भले ही सुपरमार्केट में आसानी से मिल जाती हो, लेकिन इसकी जड़ें हमारे उन प्राइमेट पूर्वजों से जुड़ी हैं, जो जंगल में पका फल ढूंढने में एक्सपर्ट थे।
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