
धर्म डेस्क। हिंदू धर्म में 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करना बहुत ही पुण्यकारी माना जाता है। आज हम आपको उन्हीं 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक, ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी कुछ खास बातें बताने जा रहे हैं।
यह अद्भुत ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा नदी के मध्य ओमकार पर्वत पर स्थापित है। यह द्वीप ॐ के आकार जैसा है। साथ ही यहाँ ममलेश्वर मंदिर भी स्थापित है। ओंकारेश्वर ज्योर्तिलिंग के आस-पास कुल 68 तीर्थ स्थित हैं। इस मंदिर के आसपास का वातावरण किसी को भी मंत्रमुग्ध कर सकता है।
सभी तीर्थों के दर्शन के बाद ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने का विशेष महत्व माना गया है। जब तीर्थ यात्री सभी तीर्थों का जल लाकर ओंकारेश्वर में अर्पित करते हैं, तभी सारे तीर्थ पूर्ण माने जाते हैं, अन्यथा भक्त पूर्ण फल से वंचित रह जाता है। इस ज्योतिर्लिंग की महिमा का वर्णन शिव पुराण में भी किया गया है। इसकी महिमा द्वादश ज्योतिर्लिंग मंत्र में भी मिलती है, जिसकी शुरुआत है:
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकाल मोङ्कारममलेश्वरम्॥1॥
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करम्।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥2॥
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।
हिमालये तु केदारं घृष्णेशं च शिवालये॥3॥
एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रात: पठेन्नर:।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति॥4॥
इस मंदिर को लेकर कई अद्भुत मान्यताएं प्रचलित हैं:
महादेव का रात्रि विश्राम: एक मान्यता यह है कि देवों के देव महादेव तीनों लोकों का भ्रमण करने के पश्चात रोजाना विश्राम के लिए रात्रि में ओंकारेश्वर मंदिर में ही आते हैं। यही कारण है कि इस मंदिर की शयन आरती काफी प्रसिद्ध है।
शिव-पार्वती का चौसर: इसी के साथ मंदिर से जुड़ी एक मान्यता यह भी है कि भगवान शिव और माता पार्वती इस मंदिर में चौसर (पासे का खेल) खेलने आते हैं। इसी वजह से यहां रात्रि के समय चौपड़ बिछाई जाती है और सुबह जब मंदिर के द्वार खोले जाते हैं, तो चौसर के पासे बिखरे हुए मिलते हैं।
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