डिजिटल डेस्क: नवरात्र का समय सिर्फ आस्था और पूजा का ही नहीं, बल्कि खानपान की आदतों में बदलाव का भी होता है। व्रत के दौरान खासकर सेंधा नमक (Rock Salt) का इस्तेमाल किया जाता है। सवाल उठता है कि आखिर सेंधा नमक को ही उपवास में क्यों चुना गया और क्या यह वास्तव में हमारे रोजमर्रा के सफेद नमक (Table OR White Salt) से बेहतर है? आइए जानते हैं सेंधा नमक और सफेद नमक के बीच असली फर्क और सही सेवन का तरीका।
सेंधा नमक एक प्राकृतिक खनिज है, जिसे पहाड़ों की खदानों से निकाला जाता है। इसे किसी तरह से प्रोसेस नहीं किया जाता, जिसके कारण इसमें मैग्नीशियम, पोटेशियम, आयरन और जिंक जैसे कई खनिज सुरक्षित रहते हैं। इसका रंग हल्का गुलाबी या ग्रे होता है, जिसे "पिंक सॉल्ट" भी कहते हैं। आयुर्वेद में इसे बहुत शुद्ध माना गया है और इसलिए उपवास में इसका सेवन अनिवार्य बताया गया है।
सफेद नमक समुद्री पानी से तैयार किया जाता है। इसे शुद्ध करने की प्रक्रिया में इसके कई प्राकृतिक खनिज खत्म हो जाते हैं। इसके बाद इसमें आयोडीन मिलाया जाता है, जो थायराइड से बचाव के लिए आवश्यक है। हालांकि इसमें सोडियम की मात्रा अधिक होती है, जिसका अधिक सेवन हाई ब्लड प्रेशर और हृदय रोगों का खतरा बढ़ा सकता है।
हालांकि सेंधा नमक के कई फायदे हैं, लेकिन इसकी एक बड़ी कमी है – इसमें आयोडीन की मात्रा बहुत कम होती है। आयोडीन थायराइड ग्रंथि के सही कार्य और मस्तिष्क के विकास के लिए जरूरी है। लंबे समय तक केवल सेंधा नमक का सेवन करने से आयोडीन की कमी हो सकती है।
सेंधा नमक निश्चित रूप से अधिक प्राकृतिक और खनिजों से भरपूर है, इसलिए उपवास के समय यह सफेद नमक से बेहतर विकल्प है। लेकिन आयोडीन की कमी को देखते हुए इसे केवल व्रत तक सीमित रखना और रोजमर्रा के जीवन में सफेद नमक का सेवन करना समझदारी होगी।
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