लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। कई लोग हैरान होते हैं जब रेस्टोरेंट के बाहर ‘सीट फुल’ का बोर्ड देखकर अंदर झांकते हैं और कुछ टेबल खाली पाते हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि रेस्टोरेंट ग्राहकों को नहीं चाहता। दरअसल, ऐसा करने के पीछे सोच-समझी रणनीति होती है ताकि हर ग्राहक को क्वालिटी सर्विस मिल सके।
रेस्टोरेंट केवल सीटों की गिनती से नहीं चलते, बल्कि इस बात से कि स्टाफ और किचन कितनी क्षमता में काम कर सकते हैं। अगर ऑर्डर बहुत अधिक हो जाएं, तो खाना परोसने में देरी होती है और ग्राहकों का अनुभव खराब होता है। इसलिए ‘फुल’ का बोर्ड लगाकर भीड़ को नियंत्रित किया जाता है।
हर वेटर को रेस्टोरेंट में अलग-अलग सेक्शन दिए जाते हैं। अगर कोई वेटर पहले से बिजी है, तो उस सेक्शन में खाली टेबल होते हुए भी नए ग्राहकों को बैठाना सर्विस को धीमा कर सकता है। इसलिए होस्ट तब तक नए ग्राहकों को एंट्री नहीं देते, जब तक अगला टेबल सर्व करने के लिए तैयार न हो।
कई बार खाली दिखने वाली टेबलें पहले से रिजर्व होती हैं या उन्हें तैयार करने में सफाई और अरेंजमेंट का समय लग रहा होता है। इसके अलावा अचानक स्टाफ की कमी, किचन उपकरणों की खराबी या सामान की अनुपलब्धता जैसी वजहों से भी रेस्टोरेंट अपनी क्षमता सीमित कर देता है।
रेस्टोरेंट का लक्ष्य अधिक ग्राहकों को बुलाना नहीं, बल्कि जो आएं उन्हें बेहतरीन अनुभव देना होता है। इसलिए अगर अगली बार किसी रेस्टोरेंट के बाहर ‘सीट फुल’ का बोर्ड दिखे, तो समझिए यह भीड़ नहीं, बल्कि क्वालिटी बनाए रखने की समझदारी भरी चाल है।
इसे भी पढ़ें... Diwali Cleaning Tips: दिवाली की सफाई होगी झटपट, अपनाएं ये इजी ट्रिक्स; चमक उठेगा घर का कोना-कोना